एमसीडी का अगला कदम मेयर चुनाव, सत्ता परिवर्तन के साथ MCD का मिजाज भी बदला
दिल्ली: अब यह तय हो चुका है कि एमसीडी में सत्ता आम आदमी पार्टी के हाथों में होगी। एमसीडी का अगला कदम मेयर चुनाव है। यह भी तय है कि पिछले 15 सालों में जिस तरह से मेयर चुनाव निर्विरोध होता था, इस बार ऐसा होने वाला नहीं है। ऐसे में बहुमत वाली और दूसरा सबसे बहुमत वाली पार्टी, दोनों ही मेयर चुनाव के समीकरण बैठाने में जुट गई हैं। सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं, एमसीडी अधिकारी भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। बीती रात जैसे ही राज्य चुनाव आयोग ने अंतिम चुनाव परिणाम घोषित किया, एमसीडी अधिकारी भी आंकड़े लेकर समीकरण बनाने में जुट गए।
एमसीडी सूत्रों का कहना है कि बुधवार देर रात सिविक सेंटर में मौजूद अधिकारी इसी गणित में जुटे रहे। आंकड़े तैयार कर सीनियर अफसरों को भेजा गया। लेकिन, इसका मकसद क्या था, यह किसी को नहीं पता। बहुमत पाने वाली और दूसरा सबसे अधिक बहुमत वाली पार्टी में भी मेयर चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। क्योंकि दोनों पार्टियों को जितनी सीटें मिली है, उसमें बहुत ज्यादा अंतर नहीं हैं।
मेयर चुनाव एममसीडी एक्ट की धारा-53 के तहत होता है। इसमें वित्तीय वर्ष के पहले हफ्ते में मेयर चुनाव होता है। लेकिन, इस बार चुनाव दिसंबर में हुआ है, तो गणित थोड़ा अलग है। यह संभव है कि इसी महीने मेयर चुनाव हो। मेयर चुनाव में जीते हुए सभी 250 पार्षद वोटिंग करते हैं। इसके अलावा दिल्ली के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को भी वोट देने का अधिकार है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनित 14 विधायक भी मेयर चुनाव के लिए मतदान करते हैं। इस बार मेयर निर्वाचित होने के लिए कम से कम 138 वोट चाहिए। क्योकि सीटें 250 हैं।
आम आदमी पार्टी की कुल सीटें 134 हैं। विधानसभा सभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत 14 विधायक होंगे। राज्यसभा के तीन सांसद भी हैं, जो आम आदमी पार्टी के हैं। कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी के 151 वोट हैं, जो मेयर निर्वाचित करने के लिए काफी है। बीजेपी की कुल सीटें 104 हैं। दिल्ली में बीजेपी के 7 लोकसभा सांसद हैं। इस तरह से बीजेपी के वोटिंग 111 तक ही सीमित है। बाकी तीन निर्दलीय और कांग्रेस के 9 पार्षद हैं, जिनके लिए दोनों पार्टियां समीकरण बैठाने में जुटी हैं।