भारत

डिजिटल 'नाव' पर सवार हुईं मायावती, IAS बनना चाहती थीं मायावती, जानें फिर क्या हुआ?

jantaserishta.com
31 Jan 2022 4:56 AM GMT
डिजिटल नाव पर सवार हुईं मायावती, IAS बनना चाहती थीं मायावती, जानें फिर क्या हुआ?
x

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) में जिस एक्स फैक्टर पर सबकी नजर है, वह है बहुजन समाज पार्टी (BSP). 2017 के चुनाव में महज 19 सीट पर सिमटी बसपा अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) की अगुवाई में इस बार करिश्मा करने की कोशिश में जुटी है. अब देखना होगा कि 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली मायावती इस बार यूपी की सत्ता की 'महावत' बन पाती हैं या नहीं?

उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के श्रीमति सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था. उनके पिता प्रभु दास गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर के एक पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी थे. बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली मायावती का सफर अपने आप में एक मिसाल है.
दलित और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवार से संबंधित होने के बावजूद इनके अभिभावकों ने अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा. मायावती ने 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला माध्यम से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की और मेरठ यूनिवर्सिटी से B.Ed की उपाधि प्राप्त की.
मायावती कुछ वर्षों तक वह दिल्ली में जेजे कॉलोनी के एक स्कूल में शिक्षण कार्य भी करती रहीं. वो टीचिंग के साथ साथ यूपीएससी की तैयारी भी कर रही थीं. उनका ख्‍वाब आईएएस बनना था. 1977 में दलित नेता कांशीराम से मिलने के बाद मायावती ने पूर्णकालिक राजनीति में आने का निश्चय कर लिया.
कांशीराम के नेतृत्व के अंतर्गत वह उनकी कोर टीम का हिस्सा रहीं, जब सन् 1984 में उन्होंने बसपा की स्थापना की थी. साल 1989 में मायावती पहली बार सांसद बनीं. 15 दिसंबर 2001 को लखनऊ में रैली को संबोधित करते हुए कांशीराम ने मायावती को उत्तराधिकारी बताया. इसके बाद 18 सितंबर 2003 को उन्हें बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.
वैसे तो मायावती ने अपना पहला चुनाव साल 1984 में उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था, लेकिन वह हार गई थीं. फिर उन्होंने 1985 में बिजनौर और 1987 में हरिद्वार से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली. 1989 में मायावती को बिजनौर से जीत हासिल हुई. मायावती को कुल 183,189 वोट मिले थे और हार जीत का अंतर 8,879 वोटों का था.
मायावती पहली बार 1994 में राज्यसभा (उच्च सदन) के लिए चुनी गईं. 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. महज 39 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनकर मायावती ने रिकॉर्ड बना दिया था. मायावती पहली बार भाजपा के समर्थन से 3 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995 तक मुख्यमंत्री रहीं. 2 जून 1995 को ही चर्चित गेस्ट हाउस कांड हुआ था.
1993 में मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने मिलकर सरकार बनाई थी. 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. इसी दिन मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं. तभी दोपहर करीब तीन बजे समाजवादी पार्टी के कथित कार्यकर्ताओं की भीड़ ने अचानक गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मायावती को कमरे में बंद करके मारा गया था और कपड़े फाड़ दिए थे.
इस गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं. उन्हें बीजेपी का समर्थन मिला था, लेकिन वह महज 5 महीने ही इस पद पर रह पाई थीं. मायावती दूसरी बार 1997 में मुख्यमंत्री बनीं. इस पद पर वह 21 मार्च 1997 से 20 सितंबर 1997 तक रहीं. मायावती तीसरी बार 3 मई 2002 से 26 अगस्त 2003 तक मुख्यमंत्री रहीं.
2007 में मायावती को सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला काम कर गया और पहली बार बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. मायावती ने 13 मई 2007 को चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस दौरान लखनऊ और नोएडा में पार्क बनाने को लेकर विपक्ष ने मायावती पर जबरदस्त हमला बोला और नतीजा रहा कि 2012 में सरकार चली गई.
206 सीट जीतकर यूपी में सरकार बनाने वाली मायावती 2012 में महज 80 सीटों पर सिमट गईं. इस चुनाव के बाद बसपा का डाउन फॉल शुरू हो गया और 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा शून्य सीट पाई थी. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा महज 19 सीटों पर सिमट गई. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन कर लिया.
इस गठबंधन का भले ही सपा को कोई खास फायदा न मिला हो, लेकिन बसपा 10 सीटें जीतने में कामयाब हो गई. 2022 के चुनाव में मायावती अकेले ही अपनी हाथी पर बैठकर सत्ता की रेस में शामिल हैं. अब देखना होगा कि 2007 की तरह मायावती फिर से यूपी की सत्ता की 'महावत' बन पाती हैं या नहीं.
Next Story