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गंगा नदी में लाशों का ढ़ेर: DGP ने जिला गंगा रक्षा समितियों से मांगी रिपोर्ट

Admin2
14 May 2021 5:05 PM GMT
गंगा नदी में लाशों का ढ़ेर: DGP ने जिला गंगा रक्षा समितियों से मांगी रिपोर्ट
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दो दिन पहले पतित पावनी गंगा की लहरों पर तैरती ढेरों लाशों ने देश की संवेदनाओं को हिलाकर रख दिया है. इसके बाद सोशल मीडिया से लेकर मीडिया में मचे हंगामे के बाद अब गंगा एक्शन प्लान भी चौकन्ना हो गया है. इस कारण नमामि गंगे परियोजना के महानिदेशक ने आनन-फानन में जिला गंगा रक्षा समितियों से रिपोर्ट मांगी है. नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा के मुताबिक, 'जैसे ही हमें सूचना मिली हमने फौरन उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के गंगा प्रवाह वाले क्षेत्र की सभी जिला गंगा रक्षा समितियों के अधिकारियों को सूचित कर सतर्कता बरतने की हिदायत दी है. गंगा में उत्तर प्रदेश-बिहार की सीमा पर महाजाल भी डलवाया गया, ताकि लाशें बहकर ज्यादा दूर ना जा सकें, साथ ही प्रदूषण और संक्रमण के खतरे को भी कम किया जा सके. इसके अलावा जिला गंगा रक्षा समितियों को सख्त हिदायत दी गई कि गंगा में दिखते ही लाशों को निकलवा कर उनका अंतिम संस्कार करवाया जाए.

नमामि गंगे के महानिदेशक ने आजतक को बताया कि इस कार्य में आने वाले खर्च के लिए मिशन की ओर से फंड जारी करने की बात भी उनको समझा दी गई है. गंगा बेसिन और आसपास के सभी जिलों से गंगा में शव फेंकने या बहाने पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों से भी कहा गया कि कोविड संक्रमितों के शव का संस्कार प्रशासन अपनी देखरेख में कराए, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि जिन शवों का अंतिम संस्कार किया गया है, उन्हें गंगा में नहीं बहाया गया है. इस महीने के आखिर तक सारी रिपोर्ट आ जाएंगी. इसके बाद उनका अध्ययन और आगे का एक्शन प्लान तय किया जाएगा.

शव गंगा में बहाए जाना सही नहींः प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी

इस सिलसिले में संपर्क करने पर काशी हिंदु विश्वविद्यालय के नदी प्रवाह और गंगा अनुसंधान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने बताया कि वाराणसी और आसपास से कोरोना संक्रमित मृत लोगों के शव गंगा में बहाए जाने की बात सही नहीं है क्योंकि काशी से गाजीपुर और बक्सर की जल मार्ग से दूरी क्रमश: सवा सौ और ढाई सौ किलोमीटर है. इस दरम्यान गंगा कई जगह मोड़ लेती है. कहीं पानी का प्रवाह ज्यादा तो कहीं कम भी होता है. जहां मोड़ आते हैं वहां लाशों या अन्य बहती चीजों का सतह पर ही किनारे लग जाने की गुंजाइश बढ़ जाती है. इतने बड़े-बड़े घुमावदार मोड़ों के बाद संभव ही नहीं है कि मानव शव ढाई सौ किलोमीटर तक गंगा की मझधार में बह कर आ जाएं.

हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि पिछले दो दिनों में गंगा में बहने वाले शवों की तादाद एक हद तक कम हुई है. हो सकता है कि किसी मोर्चरी में पिछले कई हफ्तों से मौजूद लावारिस शवों को बहाकर अधिकारियों ने जान छुड़ाई हो. हालांकि इस पूरे मुद्दे पर नमामि गंगे मिशन के अधिकारी कुछ नहीं कहते. उनका कहना है कि ये तो प्रशासनिक जांच का विषय है. जांच होने से ही पता चलेगा कि अचानक दर्जनों लाशें गंगा या अन्य सहायक नदियों की धार में बहते मिलने के पीछे राज क्या है?

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