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भारत-पाक सीमा पर शहीद जवान, राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार

jantaserishta.com
17 April 2022 2:43 PM GMT
भारत-पाक सीमा पर शहीद जवान, राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार
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पश्चिम चंपारण जिले के गौनाहा का जांबाज दिवाकर महतो भारत-पाकिस्तान सीमा पर शहीद हो गया। रविवार को राजकीय सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार उसके पैतृक गांव महुई में किया गया। इस अवसर पर सेना के जवानों ने अपने बहादुर साथी को अंतिम सलामी दी। सेना के अधिकारियों ने श्मशान घाट पर पिता शंकर महतो को तिरंगा सौंपा।

जवान बेटे के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजिल करते हुए दिवाकर के पिता ने शंकर ने कहा कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। उसके नहीं रहने का गम तो जीवन भर सालता रहेगा, लेकिन जाते-जाते उसने मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। उसने मेरा ही नहीं पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। हजारों की संख्या में लोग शहीद दिवाकर के घर पर पहुंचे। लोगों ने शहीद दिवाकर जिंदाबाद, शहीद दिवाकर अमर रहे के नारे लगाये।
सर्च ऑपरेशन के दौरान सीने में लगी गोली
सेना के अधिकारियों ने बताया कि दिवाकर हाल ही में वह एक महीने की छुट्टी बिताकर जम्मू ड्यूटी पर लौटा था। भारत-पाकिस्तान सीमा के 150 मीटर की दूरी पर सर्च ऑपेरशन चलाया जा रहा था। इसी बीच दिवाकर को सीने में गोली लग गई। उसे बचाने का प्रयास किया गया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। उसके पार्थिव शरीर को ताबूत में रखकर जम्मू से हवाई मार्ग से पटना लाया गया।
पटना में फूलों से सजी एम्बुलेंस में पार्थिव शरीर को मुजफ्फरपुर लाया गया। फिर वहां से उसके आर्मी की गाड़ी से शनिवार की रात्रि में तुरकौलिया मध्य विद्यालय में रखा गया। जहां से रविवार को सुबह उसके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव महुई अंतिम दर्शन के लिए ले जाया गया।
सेना का वाहन देखते ही आसपास के गांवों की भारी भीड़ जुट गई। लोगों ने दिवाकर अमर रहे का नारा भी लगाया। करीब दो साल पूर्व दिवाकर की शादी महुई गांव में ही फूलकुमारी से हुई थी। उसकी गोद में ढाई माह का एक लड़का है। दिवाकर का सबसे बड़ा भाई ज्ञानचंद महतो भी सेना में है।
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