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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी द्वारा एकबार फिर राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के महामंत्री डॉ. निखिल आनंद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी द्वारा एकबार फिर राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के महामंत्री डॉ. निखिल आनंद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेताओं ने उन्हें ऐसी राजनीति से बचने की सलाह दी है। साथ ही सवाल पूछा कि है कि मांझी बताएं, वे किस धर्म को मानते हैं।
गौरतलब है कि गुरुवार को मांझी ने गुरुवार को जमुई जिले के सिकंदरा में आयोजित एक कार्यक्रम में भगवान राम और रामायण को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा कि राम कोई भगवान नहीं थे। बल्कि वे तुलसीदास और वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण के मात्र एक पात्र थे। रामायण में बहुत-सी अच्छी बातें लिखी गई हैं, पर वह सिर्फ कहानी है। यह सच्ची घटना नहीं है। रामायण में लिखी बातों का अनुसरण करना गलत नहीं है, पर वे भगवान राम को नहीं मानते हैं। श्री मांझी ने आगे कहा कि जो ब्राह्मण मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, उनसे पूजा-पाठ नहीं कराना चाहिए। यह पाप है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि शबरी के जूठे बेर को राम ने खाया था, आज हमलोगों के यहां कोई खाना खाकर दिखाए।
पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिना नाम लिए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर पलटवार किया है। मोदी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं। उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में, जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उनपर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत नहीं करनी चाहिए। जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिये, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए।
उन्होंने कहा कि श्रीराम ऐसे विराट व्यक्तित्व थे कि उनके जीवन से भारत ही नहीं, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया सहित कई देशों की संस्कृति प्रभावित हुई। जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं। यह कहना हास्यास्पद ही है कि कोई स्वयं को शबरी का पुत्र बताये, लेकिन माता शबरी ने जिनकी भक्ति से संत समाज में अक्षय कीर्ति पायी, उस महानायक श्रीराम को ही काल्पनिक बता दे। कहा कि आस्था पर चोट और समाज को बांटने की ऐसी ओछी राजनीति कभी सफल नहीं होगी।
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा की गई भगवान श्रीराम पर टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कहा कि जीतन राम मांझी वरिष्ठ सम्मानित नेता हैं, लेकिन कई बार उनके बयानों से लोग भ्रमित होते हैं। वह शबरी माता पर एक कार्यक्रम में भाग लेने गए और वहां वे भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। भगवान श्रीराम के अस्तित्व के बिना शबरी माता के अस्तित्व को कोई कैसे सही ठहरा सकता है। अगर वह नास्तिक हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन नास्तिक नहीं है तो उन्हें बताना चाहिए कि वह किस धर्म से संबंधित हैं। यहां तक कि बाबा साहेब आंबेडकर ने भी हिंदू धर्म के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण किया था। कहा कि भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण का अस्तित्व हमारे दिल, दिमाग, शरीर और आत्मा में जीवित हैं। कोई भी सच्चा भारतीय श्रीराम और श्रीकृष्ण के वजूद और अस्तित्व से इनकार नहीं कर सकता है।
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