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मंगल पांडे

Sonam
19 July 2023 5:11 AM GMT
मंगल पांडे
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हमारा प्यारा भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, लेकिन आजादी पाने के लिए हमने वर्षों तक लड़ाई लड़ी। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे पहले 1857 में बिगुल फूंकी गई और इसे उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में पैदा हुए मंगल पांडे ने अंजाम दिया था। मंगल पांडे ने 1857 में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मंगल पांडे भारत के ऐसे वीर सपूत थे, जिन्होंने ये एहसास दिलाया कि अगर हम चाहे तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। उन्हीं के बदौलत आजादी की लड़ाई ने रफ्तार पकड़ी और हम आजाद हुए।

कौन थे मंगल पांडे?

मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 19 जुलाई 1827 को हुआ था। उनके गांव का नाम नगवा है और उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मंगल पांडे के पिता का नाम दिवाकर पांडे था। मंगल पांडे का महज 22 वर्ष की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना चयन हो गया। वह बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34 बटालियन में शामिल हुए थे। इस बटालियन में अधिक संख्या में ब्राह्मणों की भर्ती होती थी, जिस वजह से उनका चयन हुआ था।

मंगल पांडे क्यों हुए मशहूर?

स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे ने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने अपने ही बटालियन के खिलाफ बगावत कर दिया था। मंगल पांडे ने चर्बी वाले कारतूस को मुंह से खोलने से मना कर दिया था, जिस वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 08 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। इसी बगावत ने उन्हें मशहूर कर दिया और आजादी की ज्वाला में घी का काम किया। इसी वजह से उन्हें स्वातंत्रता सेनानी कहा गया।

क्या था 1857 का विद्रोह?

कहते हैं कि 'अंत ही आरंभ है' और मंगल पांडे के जीवन का अंत ही स्वाधीनता संग्राम का आरंभ था। 1857 का विद्रोह की शुरुआत तो सिर्फ एक बंदूक की गोली की वजह से हुआ था, लेकिन इसका परिणाम ऐसा होगा कि आजादी मिलने तक जारी रहेगा, ये किसी ने नहीं सोचा था।

अंग्रेसी शासन ने अपने इस बटालियन को एन्फील्ड राइफल दी थी, जिसका निशाना अचूक था। इस बंदूक में गोली भरने की प्रक्रिया काफी पुरानी थी। इसमें गोली भरने के लिए कारतूस को दांतों से खोलना होता था और मंगल पांडे ने इसका विरोध कर दिया था, क्योंकि ऐसी बात फैल चुकी थी कि इस कारतूस में गाय व सुअर के मांस का उपयोग किया जा रहा है।

मंगल पांडे का विद्रोह अंग्रजी हुकूमत को पसंद नहीं आया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मंगल पांडे को तय तिथि से 10 दिन पहले 08 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई, क्योंकि ऐसी आशंका जताई गई कि उनकी फांसी से हालात बिगड़ सकता है। मंगल पांडे ने अपने अन्य साथियों से भी इसका विरोध करने के लिए कहा और ऐसा ही हुआ।

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