केरल। एक घर के शीशे तोड़ने के आरोप में पुलिस हिरासत में लिए गए 32 वर्षीय एक व्यक्ति को जब मेडिकल जांच के लिए लाया गया तो वह हिंसक हो गया। मलप्पुरम जिले के चेलेम्बरा के रफीक नाम के व्यक्ति को तिरुरंगदी तालुक अस्पताल लाया गया, जब उसने पुलिसकर्मी पर हमला किया और अस्पताल के स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार किया। कुछ दिन पहले पुलिस द्वारा अस्पताल लाए गए शख्स संदीप ने सर्जिकल चाकू से हमला कर दिया था। इससे कोट्टारक्कारा तालुक अस्पताल की रेजिडेंट डॉक्टर वंदना दास की मौत हो गई थी।
इसके विरोध में डॉक्टरों ने मार्च निकाला था और आपातकालीन क्लीनिकों में जाने से मना कर दिया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सल्फी एन. ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। डॉ. सुल्फी ने कहा कि डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं और आए दिन राज्य के कोने-कोने से डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं।
गौरतलब है कि राज्य में एमडीएमए जैसे घातक उत्पादों सहित साइकोट्रोपिक दवाओं की भारी उपलब्धता है, इससे कई युवा इन दवाओं के आदी हो रहे हैं। विभिन्न नागरिक समाज संगठनों और राजनीतिक दलों ने पुलिस और आबकारी विभागों से ड्रग सिंडिकेट पर नकेल कसने की मांग की है, जो केरल के समाज के लिए खतरा बन रहे हैं।