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1999 से था लापता, आखिरकार अब घर लौटा

jantaserishta.com
20 Nov 2022 11:24 AM GMT
1999 से था लापता, आखिरकार अब घर लौटा
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जानें स्टोरी।
कोलकाता (आईएएनएस)| 23 साल पहले ओडिशा के तट पर आए सुपर साइक्लोन में लापता हुए 80 साल के बुजुर्ग व्यक्ति आखिरकार अपने परिवार के पास वापस लौट आया। दरअल, 1999 में ओडिशा में आए चक्रवात में 10,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इस चक्रवात के बुरे प्रभाव के कारण कृतिचंद्र बराल की याददाश्त चली गई और वह आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के बंदरगाह शहर में फुटपाथ पर रहने लगा।
ए.जे. स्टालिन, जो उस समय ग्रेटर विशाखापत्तनम के नगरसेवक थे, को उस पर दया आ गई और वह उसे हर दिन भोजन देने के लिए आते थे। स्टालिन की कार रुकने की आवाज सुनकर कृतिचंद्र बराल फुटपाथ के एक कोने से दौड़कर आता और खाने का पैकेट ले लेता। यह कई सालों तक चला।
एक दिन नगरसेवक ने हमेशा की तरह अपनी कार रोकी और हॉर्न भी बजाया लेकिन कृतिचंद्र बराल नहीं आया। स्टालिन के काफी खोजबीन के बाद वह काफी बीमार हालत में मिला।
इसके बाद, स्टालिन ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमओसी) से संपर्क किया और कृतिचंद्र की देखभाल करने का अनुरोध किया। आवश्यक पुलिस मंजूरी के बाद, एमओसी ने कृतिचंद्र की जिम्मेदारी उठाई। धीरे-धीरे उसकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होने लगा। हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी याददाश्त वापस नहीं आ सकी।
कृतिचंद्र कभी-कभी आंध्र प्रदेश के एक शहर श्रीकाकुलम शब्द का नाम बार-बार लेता था। यह देखते हुए एमओसी ने उसे श्रीकाकुलम के पास एक सेंटर में शिफ्ट करा दिया। जब वे मिशनरियों के साथ गांवों में जाते तो वह उसको भी साथ ले जाते थे। एमओसी को उम्मीद थी कि वहां कोई उसे पहचान लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब (डब्ल्यूूबीआरसी) के सचिव अंबरीश नाग बिस्वास ने कहा, कुछ दिन पहले, मुझे एमओसी से एक कॉल आया। हमने पहले भी उनके कुछ लोगों के परिवारों का पता लगाने में संगठन की मदद की थी, जिनकी वे देखभाल कर रहे थे। वे अब चाहते थे कि हम इस व्यक्ति के परिवार का पता लगाने की कोशिश करें। हमें तब उसका नाम भी नहीं पता था। हमारी टीम ने नेटवर्क में टैप कर एक व्यापक खोज के बाद, आखिरकार पाटीग्राम, बामनाला, पुरी में कृतिचंद्र बराल के परिवार का पता लगा लिया।
बराल के तीन बेटे हैं। उनमें से एक की आंखों की रोशनी चली गई है। दो अन्य अपने पिता की तस्वीर देखकर हैरान रह गए और फिर रोने लगे। वे एक संपन्न परिवार हैं और उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता चक्रवात के बाद लापता हो गए थे। काफी तलाश करने के बाद जब वह नहीं मिले, तो उन्होंने उन्हें मृत मान लिया गया था।
माना जा रहा है कि कृतिचंद्र बराल को चक्रवात के दौरान एक दर्दनाक अनुभव हुआ। जिसका असर उनके दिमाग पर पड़ा और उनकी याददाश्त चली गई।
नाग बिस्वास के मुताबिक, बराल के बेटे ओडिशा के ब्रह्मपुर स्थित एमओसी सेंटर पहुंच गए, जहां अब उन्हें आवश्यक औपचारिकताओं के बाद घर वापस ले जाने के लिए शिफ्ट कर दिया गया है।
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