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कांग्रेस पर ममता की मेगा स्ट्राइक: 17 में से 12 विधायक तोड़े गए, प्रशांत किशोर को लेकर हुआ ये खुलासा

jantaserishta.com
26 Nov 2021 2:33 AM GMT
कांग्रेस पर ममता की मेगा स्ट्राइक: 17 में से 12 विधायक तोड़े गए, प्रशांत किशोर को लेकर हुआ ये खुलासा
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फाइल फोटो 

शिलॉन्ग: मेघालय में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा. यहां कांग्रेस के 17 में से 11 विधायक बुधवार को टीएमसी में शमिल हो गए. मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी टीएमसी में शामिल होने वाले नेताओं में से एक हैं और उन्होंने ही बागी नेताओं का नेतृत्व किया. मुकुल संगमा ने बातचीत की, इसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में जाने का फैसला किया.

आजतक को दिए इंटरव्यू में कही ये बात

सवाल- ये कदम क्यों उठाया?
मुकुल संगमा- ऐसे कदम रातों रात नहीं लिए जाते. ऐसे फैसले सार्वजनिक जीवन में रहने के हमारे फैसले के आस पास घूमते हैं. जब आप लोगों की सेवा करते हैं, सार्वजनिक जीवन में रहते हैं. लोकतंत्र में व्यक्ति चाहे किसी भी राजनीतिक दल का हो, उसे यह सुनिश्चित करना होता है कि जनता का जनादेश मिलने के बाद उसकी पार्टी उस जिम्मेदारी को निभाने में सक्षम हो.
पार्टी को पर्याप्त मजबूती, जीवंत और हर समय लड़ने के लिए तैयार रहना होगा, और उसे 'चलता है' के रवैये से ग्रस्त नहीं होना चाहिए. इसलिए, जब हम अपने लोगों के साथ न्याय करने में सक्षम नहीं हैं, तो इसमें सुधार की आवश्यकता है. अगर सुधार नहीं होता है, तो इसका मतलब हम लोगों को निराश कर रहे, उनकी उम्मीदों को तोड़ रहे.
सवाल: आप कितने समय से निराश थे ?
मुकुल संगमा- यह निराशा का सवाल नहीं है; यह चीजों को ठीक करने की इच्छा के बारे में है. 2013 में कांग्रेस मेघालय में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हुई. राज्य में 2013 से 2018 तक सरकार रही. हमें 2018 चुनाव में भी सत्ता हासिल करने की उम्मीद थी. लेकिन कुछ गलत हो गया, क्योंकि चीजों को सही ढंग से नहीं किया गया.
सवाल- क्या आप इसे गलती मानते हैं कि 2018 में मेघालय में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई?
मुकुल संगमा- हम न सिर्फ चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर रह जाते, बल्कि बहुमत के आंकड़े को भी पार कर लेते. लेकिन जब आप सुनेंगे कि कांग्रेस उम्मीदवार को केवल 200 वोट मिले हैं तो क्या आप हंसेंगे नहीं! यह क्या बकवास है? क्या हम एक ऐसे उम्मीदवार को चुन रहे हैं, जिसे विधानसभा चुनाव में केवल 200 वोट मिलेंगे, जबकि आपकी अपनी सरकार हो? आप समझ सकते हैं कि उस समय से कांग्रेस में क्या हो रहा था! हमने हमेशा यह कहा है कि पार्टी के आंतरिक मामलों पर पार्टी की चार दीवारी के भीतर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन मुझे मजबूर किया गया, आज मैं ये सब सबके सामने बोल रहा हूं.
सवाल- आप कांग्रेस में किसे जिम्मेदार ठहराते हैं?
मुकुल संगमा- यह एक मुश्किल सवाल है. मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा. आप खुद ही निष्कर्ष निकाल सकते हैं.
सवाल- आपने पिछले महीनों में दिल्ली के कई दौरे किए. पिछले हफ्ते भी आप गए थे. क्या गलत हुआ?
मुकुल संगमा- 'चलता है' रवैये को जारी नहीं रखने का इरादा होना चाहिए. यह आपको कमजोर करता है.
सवाल- जब आप 'चलता है' कहते हैं, तो आप किसका जिक्र कर रहे हैं राहुल गांधी या सोनिया गांधी का?
मुकुल संगमा- पूरी व्यवस्था ही इस रवैये के इर्द-गिर्द घूमती है. उचित समय पर वास्तविक जुड़ाव होना चाहिए और ऐसे स्तरों पर सही प्रकार के लोग होने चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो आप लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं.
सवाल- टीएमसी कैसे विकल्प बनी?
मुकुल संगमा- हमने खोजबीन की और पूरी जांच पड़ताल की. मुझे कोई और पार्टी बताएं जिसकी विचारधारा और सिद्धांत सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस के समान हैं? टीएमसी हमारे लिए पहली पसंद थी. और टीएमसी नेतृत्व के पास लड़ने का दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता है, न कि 'चलता है' का रवैया. ममता ने हाल ही में इसे साबित कर दिया है.
सवाल- टीएमसी में शामिल होने के लिए आपको किसने राजी किया? ये प्रशांत किशोर थे या कोई और नेता?
मुकुल संगमा- सच कहूं तो प्रशांत किशोर कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं. हमने बात की. इसके बाद हमने ऐसी पार्टी की तलाश की, जो कांग्रेस की विचारधारा और सिद्धांत की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. मैंने प्रशांत किशोर से चर्चा की. इसके अलावा हमने इस पर भी विचार किया कि हम टीएमसी को देश के लिए एक विकल्प बनाकर लोगों के साथ न्याय कर सकते हैं.
सवाल- क्या प्रशांत किशोर ने आपको टीएमसी में शामिल होने के लिए मनाया?
मुकुल संगमा- हां, उन्होंने मुझे विकल्प दिए. आप टीएमसी में आ सकते हैं या कांग्रेस में बने रह सकते हैं. इसलिए हमें एक विकल्प चुनना पड़ा. उसी के आधार पर हमने बिना मीटिंग के भी रिक्वेस्ट भेज दी. अब मुझे व्यक्तिगत रूप से तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से मिलना है.
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