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गोवा के पहले ही चुनावी ब्रेकर में फंसी ममता बनर्जी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा

Khushboo Dhruw
17 Jan 2022 6:30 PM GMT
गोवा के पहले ही चुनावी ब्रेकर में फंसी ममता बनर्जी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा
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राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी राजनीति की अगुवाई करने की ममता बनर्जी की सियासी महत्वाकांक्षा बंगाल से बाहर गोवा की अपनी पहली ही चुनावी परीक्षा में डांवाडोल होती दिख रही है।

राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी राजनीति की अगुवाई करने की ममता बनर्जी की सियासी महत्वाकांक्षा बंगाल से बाहर गोवा की अपनी पहली ही चुनावी परीक्षा में डांवाडोल होती दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिनो फेलेरियो सरीखे कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं को तोड़ धूम-धड़ाके के साथ गोवा में तृणमूल कांग्रेस को लांच करने के चार महीने के भीतर ही दीदी को अपनी सियासी प्रतिष्ठा के लिए कांग्रेस से ही गठबंधन की शिद्दत से जरूरत महसूस हो रही है।

गोवा में गठबंधन के ममता बनर्जी के प्रस्ताव का सोनिया गांधी ने अभी तक नहीं दिया जवाब
दिलचस्प यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से गठबंधन के लिए बनाए जा रहे सार्वजनिक दबावों के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने दीदी को पेशकश का दो हफ्ते बाद भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा है। कांग्रेस गोवा के चुनाव में टीएमसी और उसके सहयोगी साथी एमजीपी के साथ गठबंधन की गुंजाइश से लगातार इन्कार करती आ रही है। गोवा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रभारी वरिष्ठ नेता पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पिछले दो हफ्ते से टीएमसी और आप को सूबे में वोट कटवा पार्टी बताते हुए गठबंधन को खारिज करते आ रहे हैं और उनका साफ कहना है कि ये दोनों दल भाजपा विरोधी मतों में सेंध लगाकर कांग्रेस का नुकसान कर रहे हैं। गोवा की टीएमसी की चुनाव प्रभारी महुआ मोइत्रा की चिदंबरम के साथ इस रुख को लेकर टविटर पर कई बार सियासी जंग भी हुई, मगर कांग्रेस नेता सूबे में टीएमसी को वोट कटवा से ज्यादा आंकने को तैयार नहीं दिखे।
चिदंबरम गठबंधन से लगातार इन्कार कर टीएमसी और आप पर साध रहे निशाना
बताया जाता है कि दीदी ने गठबंधन की जो पेशकश की थी, उसमें तर्क दिया गया कि चूंकि मौजूदा वक्त में कांग्रेस और टीएमसी के दो-दो विधायक हैं और इस लिहाज से 17 सीटें कांग्रेस लड़े, 15 टीएमसी तथा आठ सीटें एमजीपी को दिया जाए। कांग्रेस नेताओं को तोड़कर पार्टी खड़ा करने के बाद टीएमसी का यह प्रस्ताव कांग्रेस को पचेगा, इसकी गुंजाइश नहीं है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक ममता के गठबंधन के प्रस्ताव को कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी के पास भेज दिया। राहुल ने चिदंबरम के अलावा गोवा के कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडू राव और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से इस पर चर्चा की और टीएमसी के इस प्रस्ताव को विचार लायक भी नहीं मानने का इरादा तय कर लिया। चाहे सांकेतिक ही सही यह स्थिति दीदी की सियासी प्रतिष्ठा और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा दोनों के लिए धक्का होगा। इसीलिए टीएमसी ने गोवा में भाजपा के खिलाफ पहले विपक्ष के एकजुट गठबंधन की चर्चा चलाई जिसमें आम आदमी पार्टी को भी लाने की बात कही। कांग्रेस के लिए आप से गठबंधन का सवाल ही नहीं क्योंकि दिल्ली में 2013 के चुनाव की सियासी भूल का खामियाजा भुगत रही पार्टी आप को अपनी सियासी जमीन का साझीदार बनने का मौका देने की गलती कहीं और नहीं दुहराना चाहती। तब दीदी ने टीएमसी और एमजीपी के साथ तालमेल का कांग्रेस को प्रस्ताव दिया। लेकिन कांग्रेस स्थानीय छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ के अलावा गोवा के चुनाव को कांग्रेस और भाजपा की सीधी लड़ाई के सियासी परिधि से बाहर नहीं जाने देना चाहती, तभी टीएमसी के साथ ही आप पर भाजपा विरोधी मतों का बंटवारा करने का कांग्रेस का प्रहार जारी है। चिदंबरम ओर आप नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच ट्विटर पर सोमवार को गोवा की चुनावी सियासत को लेकर सियासी शब्द बाणों के तंज भी चले जब केजरीवाल ने चिदंबरम के जवाब में कहा- 'सर रोना बंद दीजिए- हाय रे, मर गए रे, हमारे वोट काट दिए रे. गोवा उसी को वोट करेगा जहां उसे आशा दिखेगी। जाहिर है कि गोवा में कांग्रेस के लिए अपने विपक्षी साथियों ने परेशानी बढ़ा दी है।


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