भारत
एमटीसी में पिछले सात माह से कुपोषित बच्चों को नहीं मिल रहा इलाज
Shantanu Roy
1 May 2024 11:09 AM GMT
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करौली। करौली जिला मुख्यालय पर मंडरायल मार्ग पर जिला अस्पताल में मातृ-शिशु चिकित्सालय (एमसीएच) के पास कुपोषित बच्चों की देखभाल के लिए कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) संचालित है, लेकिन विडंबना है कि करीब 7 माह से कुपोषित बच्चों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2008 में जिला चिकित्सालयों में कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) स्थापित किए थे। इन केंद्रों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित निर्देशों के अनुसार उपचार किया जाता है। जिसमें बच्चे की ऊंचाई, वजन और भूख पर विशेष ध्यान के अलावा आहार, दवा और निगरानी व्यवस्था लागू है। जिला मुख्यालय पर एमटीसी की स्थिति यह है कि केंद्र पर न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही हेल्पर। इसी का परिणाम है कि जिले में कई बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। लोगों ने बताया कि कई बालक तो ऐसे हैं जो इलाज कराने के बाद सरकारी रिकॉर्ड में स्वस्थ हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसे कई बच्चे आज भी कुपोषण का दंश झेल रहे हैं।
कुपोषण उपचार केंद्र में 6 माह से 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का भर्ती रख कर उपचार किया जाता है। इसके लिए सरकार ने मातृ-शिशु चिकित्सालय चिकित्सालय में ही कुपोषित बच्चों को गाइड लाइन के अनुसार दवाओं से उपचार के साथ नि:शुल्क भोजन (डाइट) तथा मरीज के साथ आए परिजनों को भी 225 रुपए आर्थिक राशि दिए जाने का प्रावधान कर रखा है। कुपोषण उपचार केंद्र के पास ही पूर्व में बच्चा वार्ड संचालित था। कुपोषित बच्चों के 10 बेड वाले इस केंद्र में प्रतिमाह करीब 15 कुपोषित बच्चे भर्ती होते थे, जहां उपलब्ध संसाधनों तथा चिकित्सकीय देखरेख में उपचार और पोषण मिलता था। बच्चा वार्ड एमसीएच के नए भवन में शिफ्ट करने तथा सितंबर माह में एमटीसी में एक मरीज के भर्ती होने के बाद अब तक एमटीसी में कोई मरीज भर्ती नहीं हुआ है। पूर्व में यहां भर्ती मरीजों का उपचार बच्चा वार्ड के नर्सिंगकर्मियों द्वारा किया जाता था। एमटीसी में मरीज का इलाज एक पखवाड़ा तक चलता है। कुपोषित बच्चों को आशा सहयोगिनी द्वारा सर्वे में चिह्नित करने के बाद एमटीसी लाया जाता है, लेकिन अधिकारियों की मानें तो उन्होंने उच्चाधिकारियों को लिखित में कई बार अवगत कराया कि फील्ड से आशाओं का इस बारे में कोई सहयोग नहीं मिल रहा है।
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