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मालेगांव ब्लास्ट केस के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल ने ATS अफसरों पर लगाया प्रताड़ित करने के आरोप

Nilmani Pal
9 May 2024 1:11 AM GMT
मालेगांव ब्लास्ट केस के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल ने ATS अफसरों पर लगाया प्रताड़ित करने के आरोप
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मुंबई। मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अपने वकील विरल बाबर के माध्यम से विशेष एनआईए अदालत में अपना लिखित बयान सौंपा है. उन्होंने दावा किया है कि मुंबई एटीएस के अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया था और उनका दाहिना घुटना तोड़ दिया था. पुरोहित ने अपने बयान में कहा है कि एटीएस अधिकारी उनसे अवैध रूप से पूछताछ कर रहे थे और आरएसएस-विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ सदस्यों, गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का दबाव डाल रहे थे.

पुरोहित ने दावा किया कि साल 2008 के अगस्त महीने में, मालेगांव विस्फोट होने से एक महीने से अधिक समय पहले एनसीपी के तत्कालीन अध्यक्ष (शरद पवार) ने अलीबाग में एक रैली को संबोधित करते हुए बयान दिया था कि सिर्फ इस्लामिक आतंकवादी ही नहीं हैं, बल्कि हिंदू आतंकवादी भी हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने कहा, 'यह पहली बार था जब हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ा गया. इस बयान के तुरंत बाद 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में विस्फोट की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई.'

पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें 29 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं दिखाया था. उन्होंने कहा कि मुंबई में उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उन्हें खंडाला में एक अलग बंगले में ले जाया गया, जहां तत्कालीन एटीएस प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे और परम बीर सिंह (एटीएस के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त) सहित अन्य अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे थे. लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने कहा, 'हेमंत करकरे और परम बीर सिंह बार-बार मुझे सिमी, आईएसआई और डॉ जाकिर नाइक की गतिविधियों की मैपिंग में मेरी सहायता करने वाले मेरे इंटेलिजेंस नेटवर्क और सोर्सेज के बारे में जानकारी देने के लिए मजबूर कर रहे थे. मैंने अपने सोर्सेज और नेटवर्क के बारे में उन्हें जानकारी देने से इनकार कर दिया. क्योंकि यह इंटेलिजेंस के वसूलों के खिलाफ है.'

पुरोहित के मुताबिक, 'एक सैन्य अधिकारी कर्नल पीके श्रीवास्तव, जो मेरे सीनियर थे और अब रिटायर्ड हैं, उन्होंने पीठ में छुरा घोंपा और मुझे एटीएस को सौंप दिया था. पुलिस हिरासत में मुझ पर हमला करने वाले वह पहले व्यक्ति थे. इसके बाद छह कांस्टेबलों ने मुझे बांध दिया और परम बीर सिंह ने भी हमला किया. मेरे साथ ऐसा सलूक किया गया जो किसी जानवर के साथ भी नहीं होता होगा. मेरे साथ दुश्मन देश के युद्धबंदी से भी बदतर सलूक किया गया.

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