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आपराधिक छवि के लोगों को प्रत्याशी बनाना अब राजनीतिक दलों को भारी पड़ेगा, चुनाव आयोग ने बनाई यह योजना

Khushboo Dhruw
7 Jan 2022 4:38 PM GMT
आपराधिक छवि के लोगों को प्रत्याशी बनाना अब राजनीतिक दलों को भारी पड़ेगा, चुनाव आयोग ने बनाई यह योजना
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राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ी मुहिम चलाने की योजना बनाई है। जिसके तहत चुनावों में आपराधिक छवि के लोगों को प्रत्याशी बनाना अब राजनीतिक दलों को भारी पड़ेगा,

राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ी मुहिम चलाने की योजना बनाई है। जिसके तहत चुनावों में आपराधिक छवि के लोगों को प्रत्याशी बनाना अब राजनीतिक दलों को भारी पड़ेगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत सभी दलों को अब उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर सभी का आपराधिक ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा। इतना ही नहीं, चुनाव आयोग इसे लेकर लोगों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाएगी। जिसमें मतदाताओं से साफ छवि वाले प्रत्याशियों को वोट न देने की अपील भी की जाएगी। जो दल दिशा निर्देश का पालन नही ंकरेंगे उन्हें जुर्माना देना होगा।

खासबात यह है कि राजनीति को आपराधीकरण से मुक्त रखने की यह पहल चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के उन दिशा-निर्देशों के अमल में शुरु की है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक के अपराधीकरण पर भारी चिंता जताते हुए कानून निर्माताओे से इसे रोकने के लिए कड़े कानून बनाने की अपील की थी।
साथ ही आयोग को निर्देश दिया था कि वह सभी राजनीतिक दलों से उम्मीदारों की अपराधिक ब्यौरा सार्वजनिक करने और उसे अपनी पार्टी की वेबसाइट के होम पेज पर अपराधिक छवि वाले उम्मीदवार के परिचय के साथ प्रदर्शित करने के लिए निर्देशित करें। साथ ही जो राजनीतिक दल इसका पालन न करें उसकी जानकारी भी दें। यह कोर्ट की अवमानना होगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त 2021 को अपने एक आदेश में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को ब्यौरा न सार्वजनिक करने वाले राजनीतिक दलों को जुर्माना लगाया था। जिसमें कांग्रेस, भाजपा, जदयू व आरजेडी के अलावा एलजेपी और सीपीआई जैसे राजनीतिक दल भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर एक विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किए थे।
आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लेकर मतदाताओं के बीच एक बड़ी मुहिम चलाने की तैयारी की गई है। जो सोशल मीडिया, वेबसाइट, ¨प्रट और टीवी पर विज्ञापन के जरिए, प्रचार सामग्री आदि के जरिए चलाया जाएगा। इसके साथ ही इस पर नजर रखने के लिए आयोग ने एक सेल भी गठित किया है, जो राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के अमल पर नजर रखेगा।
खासबात यह है कि इस व्यवस्था के तहत यदि किसी राजनीतिक दल ने किसी आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है तो उसे यह बताना होगा, उसे उम्मीदवार बनाने के लिए पीछे उसकी क्या मजबूरी थी। साथ ही उस दर्ज आपराधिक मामलों की मौजूदा स्थिति की भी जानकारी देनी होगी। गौरतलब है कि मौजूदा समय में सभी राजनीतिक दलों की ओर से आपराधिक छवि के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे जा रहे है।


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