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कांगड़ा में महासंकट, क्रसना लैब में सभी टेस्ट बंद

11 Jan 2024 5:26 AM GMT
कांगड़ा में महासंकट, क्रसना लैब में सभी टेस्ट बंद
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टीएमसी। डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में क्रसना डायग्नोस्टिक्स में मंगलवार रात्रि 12 बजे के बाद किसी भी तरह के टेस्ट नहीं किए गए। बुधवार दिन के 12 बजे के बाद क्रसना डायग्नोस्टिक्स के टेस्ट काउंटर खाली दिखाई दिए। दूरदराज से आए मरीजों को क्रसना डायग्नोस्टिक्स में टेस्ट न होने की …

टीएमसी। डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में क्रसना डायग्नोस्टिक्स में मंगलवार रात्रि 12 बजे के बाद किसी भी तरह के टेस्ट नहीं किए गए। बुधवार दिन के 12 बजे के बाद क्रसना डायग्नोस्टिक्स के टेस्ट काउंटर खाली दिखाई दिए। दूरदराज से आए मरीजों को क्रसना डायग्नोस्टिक्स में टेस्ट न होने की वजह से बहुत परेशान होना पड़ा और टांडा अस्पताल उपचार के लिए पहुंचे मरीजों को प्राइवेट लैब्स का रुख करना पड़ा। फ्री टेस्टों की सुविधा होने के बावजूद लोगों को पैसे देकर प्राइवेट लैब में टेस्ट करवाने पड़े। छह जिलों चंबा, मंडी, ऊना, कुल्लू, हमीरपुर, ऊना और सबसे बड़े जिला कांगड़ा से आए मरीजों को बुधवार को कैश पेमेंट कर टेस्ट करवाने को मजबूर होना पड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी एमरजेंसी में आए बुजुर्ग व महिला मरीजों को झेलनी पड़ी और टेस्ट के लिए सुबह तक का इंतजार करना पड़ा। क्रसना डायग्नोस्टिक्स ने प्रदेश सरकार से करोड़ों रुपए की अदायगी न होने के वजह से टेस्ट सुविधा को बंद किया गया है। क्रसना डायग्नोस्टिक्स की मैनेजमेंट की तरफ से टांडा मेडिकल कालेज व अस्पताल के प्रधानाचार्य को इससे संबंधित एक पत्र भी सौंपा। बता दें कि मार्च व अप्रैल से क्रसना डायग्नोस्टिक्स की करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं, जिनकी अदायगी अभी तक नहीं की जा सकी है।

देर रात्रि मंगलवार व बुधवार को टांडा मेडिकल कालेज व अस्पताल में क्रसना डायग्नोस्टिक्स के टेस्टों की सुविधा मरीजों को न मिल पाने के कारण छह जिलों ाहित 15 लाख से ज्यादा की आबादी वाले सबसे बड़े जिला कांगड़ा से आए 760 से अधिक मरीजों के मंगलवार रात्रि 12 बजे व बुधवार दिन के 12 बजे के बाद टेस्ट नहीं हो पाए। जिसके कारण मरीज बहुत परेशान हुए। सबसे ज्यादा परेशानी बुर्जुग व महिला मरीजों को झेलनी पड़ी जिन्हें टैस्ट के लिए सुबह तक का इंतजार करना पड़ा। उधर, टांडा मेडिकल कालेज व अस्पताल में आए दूरदराज के मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट लैब्स का रुख करना पड़ा और परेशानियां अलग से झेलनी पड़ी । सरकारी अस्पतालों में फ्री इलाज व टेस्टों की सुविधा होने के बावजूद मरीजों की जेबों पर भी भारी बोझ पड़ा और टैस्ट करवाने पड़े। मरीजों के जो टेस्ट फ्री में होने थे, उन्हें कैश पेटेंट देकर करवाना पड़ा। कुछ महंगे टेस्ट तो प्राइवेट लैब्स में हजारों रुपए देकर मरीजों को करवाने पड़े। कुछ मरीजों का कहना था कि फ्री की सुविधा केवल नाम की ही रह गई है।

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