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पटना: लोकआस्था के महापर्व छठ में बिहार के बाहर रहने वाले लोग अपने गांव पहुंचना चाह रहे हैं। इसके कारण पटना सहित प्रदेश के सभी स्टेशनों पर रुकने वाली ट्रेनों से रेला उतर रहा है। यात्रियों की भीड़ के कारण स्लीपर, थर्ड एसी सभी की स्थिति एक जैसी हो गई है। भीड़ को देखते हुए रेलवे विशेष ट्रेनें चला रही है, लेकिन यात्रियों की भारी संख्या के कारण ये कम पड़ जा रही हैं। ट्रेनों में जगह नहीं मिलने के कारण निजी बसों की चांदी हो गई है।
पटना सहित बिहार के सभी रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ देखी जा रही है। यहां पहुंचने वाले लोगों के चेहरे पर सुकून है कि महापर्व के मौके पर वे अपने प्रदेश आ गए। हालांकि इन लोगों को आने में परेशानी हो रही है। दिल्ली, मुंबई, गुजरात आदि स्थानों से आने वाली ट्रेनें फुल हैं। यात्रा कर आए लोगों का कहना है कि बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। भीड़ के कारण बोगी में घुसने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है, वहीं सफर में भीड़ के कारण बच्चे परेशान हो जा रहे हैं। कई यात्री तो अपना सफर छोड़कर बीच मे ही उतर जा रहे हैं।
इधर, रेलवे का दावा है कि त्योहारों के अवसर पर भारतीय रेलवे द्वारा 7,296 विशेष गाड़ियां चलाई जा रही हैं, जबकि पिछले साल 4,500 विशेष गाड़ियां चलाई गई थीं। 31 अक्टूबर को रेलवे ने 150 से अधिक विशेष गाड़ियां चलाईं, जबकि एक नवंबर को 158 विशेष गाड़ियां चलाई जा रही हैं।
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र ने बताया कि पूजा के अवसर पर पिछले वर्ष 2023 में पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार से खुलने एवं गुजरने वाली ट्रेनों द्वारा 2121 फेरे लगाए गये थे, जबकि इस वर्ष एक नवंबर तक ट्रेनों द्वारा 5088 फेरे लगाए गए। आवश्यकतानुसार फेरों में वृद्वि की जा रही है।
शनिवार को भी कई विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं। ट्रेनों में सीट नहीं मिलने और परेशानी होने के कारण यात्री सड़क मार्ग से भी अपने गांव पहुंच रहे हैं। यात्रियों की मजबूरी का निजी बस ऑपरेटर फायदा उठा रहे हैं। यात्रियों को बसों में ठूंसकर लाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि दिल्ली से मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के लिए कई बसें चलाई जा रही है। बसों द्वारा यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है। अपने घर लौटना चाह रहे यात्री सीट के बदले बेंच पर बैठकर भी सफर कर रहे हैं।
एक यात्री ने बताया कि दिल्ली से मुजफ्फरपुर आने के लिए उससे 4000 रुपये किराया वसूला गया। उन्होंने कहा कि ट्रेन में आरक्षण न मिलने के कारण लोग बस से आने को मजबूर हैं। बताया जा रहा है दिल्ली से आने वाली अधिकांश बसों की परमिट भी नहीं है।
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