एमपी। कहने को तो निकाय चुनाव बेहद छोटे और सामान्य चुनाव माने जाते हैं लेकिन मध्यप्रदेश निकाय चुनाव सूबे की सियासत के 2 बड़े चेहरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने जा रहे हैं. यहां निकाय चुनाव के लिए आज पहले चरण का मतदान है. 2 चरणों में हो रहे इस निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर है. दोनों ने ही इस चुनाव में अपनी धाक जमाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
दरअसल मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं इसलिए इन निकाय चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. इस चुनाव में ही शिवराज और कमलनाथ का राजनीतिक भविष्य छिपा हुआ है. जाहिर है इस चुनाव में हुई हार और जीत राजनीतिक दलों के लिए बेहद मायने रखती है. बीजेपी जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है तो वहीं कांग्रेस में कमलनाथ का फेस चल रहा है. ऐसे में हार या जीत का सबसे ज्यादा असर भी इन्हीं दो चेहरों पर पड़ना है. इससे पहले निकाय चुनाव साल 2015 में हुए थे, जिसमें सभी 16 निकायों में बीजेपी के मेयर चुने गए थे, लेकिन अब 7 साल के बाद हो रहे चुनाव में समीकरण काफी बदल गए हैं.
वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह बताते हैं कि लड़ाई सीधे तौर पर शिवराज-कमलनाथ की है. निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं. शहरों की स्थितियों से लोग काफी नाराज हैं. अब देखना यह है कि इस नाराजगी का फायदा कांग्रेस कितना उठा पाती है. बड़ी चुनौती बीजेपी के सामने है क्योंकि उसे सभी 16 निकाय बचाने हैं. कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है लिहाजा छोटी सी छोटी जीत भी उसके लिए संजीवनी का काम करेगी.
वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने चुनौती इसलिए है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखने के बाद सिर्फ 15 महीनों में उनकी सरकार गिर गई थी. उसके बाद हुए सभी उपचुनावों में कांग्रेस को आशातीत सफलता नहीं मिल सकी और कांग्रेस नेताओं ने दबी जुबान में इसके लिए नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर दिया था.