जानवर भले ही बेजुबान होते हैं और इनमें सोच समझ का भी अभाव हो, लेकिन इनके अंदर भी भावनाएं होती हैं. जानवरों में सबसे वफादार कुत्ते को माना जाता रहा है. जबकि हम आपको ऐसी ऐसी हैरान करने वाली कहानी बता रहे हैं, जहां कुत्ता बन गया एक संस्था का सीईओ और नाम मिला कुंवर सिंह.दरअसल, यह एकदम सच है और कहानी उत्तराखंड के नैनीताल के एक गांव की है.
ये कोई आवारा कुत्ता नहीं बल्कि कुंवर सिंह है और वो भी गीली मिट्टी संस्था का सीईओ. सुनने में अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन ये सच है. नैनीताल के महरोडा गांव में गिली मिट्टी की संस्थापिका शगुन सिंह का ये एनिमल प्रेम एक मिसाल भी है. कैम्प में आने वालों का ध्यान रखना हो या फिर उनको आसपास घूमना कुंवर अपनी जिम्मेदारी निभाता है और परेशान लोगों को भी दुखी देख उनके पास बैठकर सुकून देता है.
दरअसल 2015 में शगुन इस नैनीताल के इस गांव पहुंची तो कुंवर सिंह से मुलाकात हुई. नाता इस कदर जुड़ा की पहले दोस्ती और फिर संस्था का सीईओ कुंवर सिंह को बना दिया और अब सब खुश हैं. गीली मिट्टी की संस्थापिका शगुन सिंह कहती है कि 2015 में जब वो नैनीताल के महरोड़ा गांव में आई तो सबसे पहले मुलाकात इसी कुंवर सिंह से हुई. उनको हमने नहीं लेकिन उसने हमको चुना है और अपने गांव में रहने का न्यौता दिया. आज वो सभी का ख्याल रखते हैं और लोगों को सड़क तक छोड़कर आते हैं और किसी को दुखी नहीं देखते हैं.
कुंवर सिंह की मुहब्बत शगुन सिंह से नहीं है बल्कि वह गांव में भी चर्चित है. पर्यटकों को सड़क से लाने के साथ गांव के लोगों को घर तक छोड़ने जाता है. बच्चों और बुजुर्गों के साथ एकदम घुलने-मिलने की कला भी कुंवर सिंह में है तो सुबह पूरे गांव का चक्कर काटकर लोगों से मुलाकात करता है. अगर कभी नहीं दिखे तो लोगों में चिंता भी कुंवर सिंह की हो जाती है. गांव के देव सिंह कहते हैं कि रोजाना मुझे ये गांव तक छोड़ने आता है. यही नहीं, वह हर सुबह गांव का चक्कर काटता है और गांव के लोगों को भी कुंवर सिंह की इंतजार होता है. अगर एक दो दिन नहीं दिखे तो एक दूसरे से जानकारी लेनी पड़ती है.