
कुल्लू। अयोध्या में बने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देशभर में खुशी का माहौल बना हुआ है। भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह भी अयोध्या जाने की पूरी तैयारी कर चुके है। भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह को बुधवार को यहां अयोध्या आने का निमंत्रण मिलेगा। जहां पर …
कुल्लू। अयोध्या में बने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देशभर में खुशी का माहौल बना हुआ है। भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह भी अयोध्या जाने की पूरी तैयारी कर चुके है। भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह को बुधवार को यहां अयोध्या आने का निमंत्रण मिलेगा। जहां पर भगवान रघुनाथ जी के चरणों में इस निमंत्रण पत्र को रखा जाएगा। यह निमंत्रण पत्र लेकर बुधवार को विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष लेख राज राणा रघुनाथ मंदिर पहुंचेंगे।
इस दौरान यहां प्राण प्रतिष्ठा समारोह समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी होगी। इसमें 22 जनवरी को जिलाभर के मंदिरों में किस तरह से कार्यक्रम आयोजित होंगे, को लेकर चर्चा की जाएगी। बता दें कि प्रदेश भर में 58 लोगों को अयोध्या आने का निमंत्रण मिला है। जिला कुल्लू में धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों करीब सात-आठ लोगों को भी निमंत्रण मिला है। भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह का कहना है कि 18 जनवरी को ही वह कुल्लू से अयोध्या के लिए निकलेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ जी पूरे हिंदुस्तान के आराध्य हैं। ऐसे में देवभूमि कुल्लू के लोगों में भी भगवान रघुनाथ जी के प्रति अटूट आस्था है। इसलिए वह देवभूमि कुल्लू से भगवान को भेंट चढ़ाने के लिए चांदी की चरण पादुकाएं, पट्टरा सहित अन्य चिन्ह लेकर जाएंगे।
1650 में कुल्लू के तत्कालीन राजा जगत सिंह के आदेश पर भगवान रघुनाथ सीता और हनुमान की मूर्तियों को अयोध्या से कुल्लू लाया गया। एक दिन राजा को दरबारी ने सूचना दी कि मड़ोली टिप्परी के ब्राह्मण दुर्गादत्त के पास सुच्चे मोती हैं। जब राजा ने ब्राह्मण से मोती मांगे, तो राजा के डर से दुर्गादत्त ने खुद को अग्नि में जलाकर समाप्त कर दिया था। छानबीन करने पर पाया कि उसके पास मोती नहीं थे। ब्रह्म हत्या के निवारण को राजा जगत सिंह के राजगुरु तारानाथ ने सिद्धगुरु कृष्णदास पथहारी से मिलने को कहा। पथहारी बाबा ने सुझाव दिया कि अगर अयोध्या से त्रेतानाथ मंदिर में अश्वमेध यज्ञ के समय की निर्मित राम-सीता की मूर्तियों को कुल्लू लाया जाए, तो राजा रोग मुक्त हो सकता है। मूर्ति लाने के बाद राजा ने रघुनाथ के चरण धोकर पानी पिया और राजा का रोग खत्म हो गया। इसके बाद राजा ने सारा राजपाट भगवान राम रघुनाथ को सौंपा और खुद रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार बन गए। अब इस कार्य को महेश्वर सिंह निभा रहे हैं।
