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रेमडेसिविर इंजेक्शन की तलाश, लॉकडाउन में भी दस बहाने करके निकले लोग

Deepa Sahu
14 April 2021 4:56 PM GMT
रेमडेसिविर इंजेक्शन की तलाश, लॉकडाउन में भी दस बहाने करके निकले लोग
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कोरोना कर्फ्यू कहिए या जनता कर्फ्यू या फिर लॉकडाउन

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : कोरोना कर्फ्यू कहिए या जनता कर्फ्यू या फिर लॉकडाउन, कोरोना के खतरे से बचने के लिए घरों के अंदर ही रहने की ही सलाह दी जाती है. बहुत जरूरी होने या घर की जरूरत का सामान खरीदने के लिए ही सड़कों पर आने की इजाजत होती है. लेकिन शहर की सड़कों को खाली देखकर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ तफरी के लिए वाहन लेकर निकल पड़ते हैं. अगर कोई पुलिस वाला पकड़ता है तो एक से एक नायाब बहाने बनाकर बचने की कोशिश करते हैं. पुणे पुलिस ने ऐसे ही लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ा है.

हड़पसर पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर बालकृष्ण कदम ने बताया कि "करीब 85% लोग अस्पताल या मेडिकल स्टोर जाने को घर से निकलने की वजह बताते है, जब वेरिफिकेशन की बात आती है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. सच्चाई सामने आने पर पुलिस को झांसा देने की कोशिश करने वालों पर कार्रवाई की जाती है."

कैसे-कैसे किए जाते हैं बहाने?
सबसे अधिक बहाना जो बनाया जाता है वो है घर पर या अस्पताल में कोई सगा गंभीर रूप से बीमार है और उसके लिए दवा लेने जाना पड़ रहा है. पुणे के कैम्प एरिया में हाल में एक बाइक सवार को देर शाम को लॉकडाउन नियमों की अनदेखी कर सड़क पर निकले देखा तो ऐसा करने की उससे वजह पूछी.इस पर युवक ने जवाब दिया कि उसे अपने रिश्तेदार के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की तत्काल जरूरत है, उसी को लेने मेडिकल स्टोर जा रहा है. घर से निकलने की ये एक जायज वजह है. लेकिन जब ट्रैफिक पुलिस वाले ने युवक से डॉक्टर का प्रेस्क्रिप्शन मांगा तो वो बगले झांकने लगा. फिर उसने खुद ही कबूल किया कि वो बिना किसी कारण घर से घूमने के लिए निकला था.
पुणे पुलिस ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, आजकल बहाने बनाने का ट्रेंड चल पड़ा है. अधिकतर लोग पुलिस से यही कहते हैं कि वे रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के लिए मेडिकल स्टोर जा रहे हैं. जब उनसे डॉक्टर का पर्चा मांगा जाता है तो जवाब मिलता है कि वो अभी इंजेक्शन की मेडिकल स्टोर पर उपलब्धता जानने के लिए निकले हैं. फिर हमें देखना पड़ता है संबंधित शख्स सही कह रहा है या नहीं. नाकाबंदी के दौरान कुछ लोग ऐसे भी पकड़े गए जो डॉक्टर के पुराने पर्चे साथ लेकर घरों से बाहर निकले थे.ऐसे ही ये भी बहाना बनाया जाता है कि उनका कोई नजदीकी शख्स अस्पताल में भर्ती है, उसकी हालत पता करने जा रहे हैं या कोई सामान पहुंचाने जा रहे हैं. ऐसा ही बहाना बनाने वाले एक शख्स से अस्पताल का नाम और भर्ती मरीज का नाम पूछा गया. जब उस अस्पताल में फोन किया गया तो पता चला कि उस नाम का कोई मरीज वहां भर्ती नहीं है.
इसी तरह सड़क पर वाहन पर सवार एक लड़के को पकड़ा गया तो उसका कहना था कि वो ऑफिस से ड्यूटी करने के बाद घर लौट रहा है, जब उससे आईडी कार्ड मांगा गया तो वो नहीं दे पाया. इसके बाद पुलिसवालों ने लड़के के घरवालों से फोन पर संपर्क किया तो पता चला कि वो कॉलेज छात्र है और अपने दोस्त के घर पर जाने के लिए निकला था.ऐसे युवाओं की भी कमी नहीं जो घर से बाहर निकलने के लिए अपनी पढ़ाई को वजह बताते हैं. एक ऐसे ही युवक ने घर से निकलने की वजह बताई कि वो महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा की तैयारी कर रहा है और उसी के लिए कोचिंग लेने जा रहा है. जब उससे कहा गया कि शहर के सारे कोचिंग सेंटर और शिक्षण संस्थान बंद हैं तो फिर वो युवक आगे कुछ नहीं बोल सका.
झूठ बोलते ही पकड़े जाते हैं लोग
कई बार पुलिसवालों के सामने कुछ मजेदार खुलासे भी होते हैं. शहर में एक युवा जोड़े को घूमते पुलिस ने पकड़ा तो उन्होंने पहले बताया कि वो मेडिकल स्टोर जा रहे हैं. जब प्रेसक्रिप्शन मांगा गया तो उन्होंने अलग तर्क देते हुए कहा कि घर पर उनका अभिभावकों से झगड़ा होने के बाद वो कुछ राहत पाने के लिए सड़क पर निकले हैं. जब पुलिस ने घरवालों को फोन कर हकीकत जाननी चाही तो असली सच जोड़े की जुबान पर आ गया. उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी दोनों की शादियां कहीं और हुई हैं और उनके बीच दोस्ती है.
पुणे पुलिस का कहना है कि जो भी झूठी वजह बता कर ऐसा करते हैं वो खुले में निकल कर अपने ही जीवन को खतरे में डालते हैं. वो लोग पुलिस को नहीं बल्कि खुद को ही धोखा दे रहे हैं. इस तरह की हरकतें करने वालों की वजह से किसी के पास घर से निकलने की सही में कोई मजबूरी हो तो उसकी भी पुलिस वालों को पूरी जांच करनी पड़ती है.
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