भारत
कोरोना के बीच श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में लगी लंबी लाइन, नियमों का नहीं हो रहा पालन
Apurva Srivastav
13 April 2021 4:02 PM GMT
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कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, इस महामारी से मरने वालों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है
कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, इस महामारी से मरने वालों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है. भारत के कई राज्यों में भी हालात खराब होते जा रहे हैं. श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं. टीवी9 की टीम ने दिल्ली के कब्रिस्तान और शमशान में हालात का जायजा लिया. दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान निगमबोध घाट (Nigambodh Ghat) पर हर तरफ लोग ही लोग हैं. एक साथ कई शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है, कोरोना से मरने वालों की डेड बॉडी को पूरे प्रोटोकॉल के साथ लाया जा रहा है.
निगमबोध घाट के मुख्य प्रबंधक ने बताया कि पिछले दस दिनों से कोरोना से मरने वालों के शव यहां अंतिम संस्कार के लिए ज्यादा आ रहे हैं. यहां 6 सीएनजी की मशीनें भी हैं साथ ही यमुना किनारे कच्चे शमशान पर भी कुछ लोग दाह संस्कार करते हैं. सुमन कुमार ने बताया कि आम दिनों में अंतिम संस्कार के लिए यहां 50-60 शव रोज आते हैं, लेकिन अब कोरोना की वजह से ये संख्या 70-75 तक हो गई है. रविवार को कोरोना की 24 डेड बॉडी आई थीं, वहीं सोमवार को 22 शव आए थे.
दिल्ली गेट कब्रिस्तान में बढ़ी शवों की संख्या
वहीं दिल्ली के सबसे पुराने और सबसे बड़े दिल्ली गेट कब्रिस्तान में जगह की फिलहाल कोई कमी नहीं है. लेकिन यहां कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है. शव को बॉक्स में डालकर दफन किया गया, किसी ने डेडबॉडी हाथ नहीं लगाया, लेकिन न तो कब्रिस्तान के स्टाफ ने पीपीई किट पहनी और न ही मरने वालों के परिवार के लोगों ने ही किट पहनी थी. दिल्ली गेट कब्रिस्तान के इंचार्ज शमीम अहमद ने बताया कि 4 तारीख से कोविड के मामले बढ़े हैं. हर दिन 10-11 शव यहां आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि दफनाने वालों को पीपीई किट पहननी होती है, लेकिन न तो पिछली बार हमें ये किट मिली थीं, और न ही इस बार मिली हैं. इंचार्ज ने कहा कि इसके लिए हमने नॉर्थ दिल्ली नगर निगम को लेटर भी भेजा है.
दाह संस्कार करवाने वाले पंडित नहीं पहन रहे PPE किट
अपनों के अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे कुछ लोगों ने शिकायत की कि दाह संस्कार करवाने वाले पंडित पीपीई किट नहीं पहन रहे हैं. वहीं पंडितों ने इस की इस पर अपनी अलग ही दलील है. एक पंडित ने कहा कि हम पीपीई किट नहीं पहनते, सिर्फ हाथ में दस्ताने पहनते हैं. कोरोना के मरीज को बिल्कुल टच नहीं करते. दूर से ही सारा सामान देकर कार्य संपन्न करते हैं. पंडित जी ने कहा कि खतरा भी है लेकिन काम तो करवाना ही पड़ता है, पीपीई किट पहनकर तो पांच मिनट भी खड़े नहीं हो सकते, श्मशान में काफी ज्यादा टेम्परेचर होता है.
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