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नई दिल्ली: आजादी के अमृत महोत्सव से ठीक पहले पूरे देश में तीसरी लोक अदालत का आयोजन हुआ. राजधानी दिल्ली को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की अदालतों में चल रहे लाखों मुकदमों का निपटारा इनमें हो गया. दिल्ली में अमृत महोत्सव की गहमा गहमी की वजह से 21 अगस्त को लोक अदालतें लगेंगी.
लोक अदालत के राष्ट्रव्यापी अभियान की ऑनलाइन शुरुआत करते हुए सुप्रीम कोर्ट के नामित मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि लोक अदालतें देश के समावेशी विकास को त्वरित गति देने का सबसे कारगर औजार हैं. उससे फरियादियों पर और साथ साथ अदालतों से भी बोझ कम होता है.
35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लोक अदालतें लगीं
नेशनल लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी यानी (NALSA) के इस आयोजन में देश के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लोक अदालतें लगीं. इन लोक अदालतों में अब तक 75 लाख मामले अदालतों में शुरू होने से पहले ही निपटा दिए गए. जबकि 25 लाख ऐसे मामलों में निपटारा हुआ जो सालों से लंबित पड़े थे. इन मुकदमों में 90 बिलियन रुपए धनराशि का सेटलमेंट हुआ. यानी एक करोड़ मुकदमे निपटाने का रिकॉर्ड लोक अदालतों के नाम हो चुका है.
NALSA के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में जस्टिस ललित ने लॉक डाउन के दौरान भी लगभग सभी राज्यों के दौरे कर लीगल एड के लिए बहुतेरे इंतजाम किए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई सार्वजनिक मंचों पर गर्व से इसके बारे में बताया. जस्टिस ललित का मानना भी है कि शीघ्र और सुलभ न्याय दिलवाना ही NALSA का ध्येय रहा है. हमें खुशी और संतोष है कि हम सब इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
जस्टिस ललित ने इस मौके पर कहा कि हमें इस बात की भी खुशी है कि NALSA के कार्यकलाप को समृद्ध करने का कार्य पूर्ववर्ती जजों और कार्यकारी अध्यक्षों ने किया है उस परंपरा का सबने मिलकर बहुत तेजी से ऊंचाई पर पहुंचाने के साथ साथ विस्तार और गहराई भी दी है. इससे आम जनता के न्यायपालिका में विश्वास की जड़ें और गहरी होंगी।
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