देहरादून : चकराता और त्यूणी तहसील के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी से बागवानों को बड़ी राहत मिली है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बर्फबारी से सेब के पेड़ों की अभीशीतन अवधि पूरी होगी। इससे सेब के पेड़ों पर अधिक से अधिक पुष्पण होगा। फल की पैदावार बढ़ेगी। वहीं, बर्फबारी और बारिश से नकदी फसलों को …
देहरादून : चकराता और त्यूणी तहसील के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी से बागवानों को बड़ी राहत मिली है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बर्फबारी से सेब के पेड़ों की अभीशीतन अवधि पूरी होगी। इससे सेब के पेड़ों पर अधिक से अधिक पुष्पण होगा। फल की पैदावार बढ़ेगी। वहीं, बर्फबारी और बारिश से नकदी फसलों को भी फायदा पहुंचेगा। हालांकि, समय पर बारिश न होने से दलहनी फसल बर्बाद हो चुकी है।
कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के प्रमुख डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि सेब के पेड़ के लिए अभीशीतन अवधि काफी महत्वूपर्ण है। यह अवधि एक हजार से 1200 घंटे की होती है। इसमें पेड़ निंद्रा में चलते जाते हैं। अभीशीतन के लिए करीब सात डिग्री सेल्सियस के तापमान की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि चकराता और त्यूणी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई है। बताया कि तापमान कम होने से पेड़ों के लिए अभीशीतन अवधि के लिए उपयुक्त वातावरण मिल गया है।
उन्होंने बताया कि हल्की बारिश नकदी और अन्य फसलों के लिए भी फायदेमंद होगी। बताया कि बारिश से पाले की संभावना कम हो जाती है। कोहरे में घुले मिट्टी के कण बारिश से नीचे बैठ जाते है। पर्याप्त मात्रा में धरती तक सूर्य की किरणें पहुंचती है। इससे बर्फबारी और बारिश के बाद तापमान में भी इजाफा होगा। पौधों को भी पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन मिली है।