इस केस के पीड़ित पुलिस को शिकायत में यह बताया
16 जुलाई को 2021 को मुम्बई पुलिस को, मुंबई के ही एक एस्टेट एजेंट की शिकायत मिली थी. जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया था कि, मुझे एक अज्ञात नंबर से काल आई थी. जिसने मुझसे KYC अपडेट करने के लिए बैंक की डिटेल मेल करने को कहा था. शिकायतकर्ता ने इस घटना के संबंदध में आगे बताया कि उसका मुंबई के मलाड के कॉर्पोरेशन बैंक (Corporation Bank) में बचत खाता है. हालांकि बाद में यूनियन बैंक (Union Bank) के साथ संबंधित बैंक के विलय (merge) होने के बाद उनके खाते को ट्रांसफर कर दिया गया था.
जहां 5 जून 2021 को, एस्टेट एजेंट को यूनियन बैंक के खाते को KYC अपडेट के लिए एक अज्ञात व्यक्ति का फ़ोन काल आया था. शिकायतकर्ता को 16 जुलाई 2021 दोबारा बैंक डिटेल के साथ मोबाइल नंबर अपडेट करने के इए ईमेल प्राप्त हुआ. ईमेल को असली मनाते हुए शिकायतकर्ता ने अपनी बैंक डिटेल के साथ मेल का जवाब दिया. जिसके कुछ दिनों बाद पता चला कि उसके खाते से 12 लाख 73 हजार ट्रांसफर कर लिया गया है. बैंक से इस संबंध में पता करने पर बताया गया कि, उन्होंने बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की जानकारी साझा करने के कारण उनके साथ यह घटना हुई. बाद में उन्होंने इसको लेकर पुलिस में एक शिकायत दर्ज करवाई.
पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद उठाये यह कदम
साइबर सेल में तैनात पीआई सविता कदम ने इस संबंध में बताया कि, शिकायत मिलने के बाद उन्होंने बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की जांच शुरू की, जिसके लिए उन्होंने नंबर को ट्रैक करना शुरू कर दिया. जहां हमें दिल्ली के बुराड़ी में मोबाइल नंबर का पता चला. जब हमें सिम कार्ड के मालिक का पता चला तो हमने घर पर नजर रखनी शुरू कर दी और सोमवार को इस मामले में आरोपी सबरवाल को गिरफ्तार कर लिया.आरोपी के फ्लैट की तलाशी लेने पर पुलिस को पांच मोबाइल फ़ोन, 10 डेबिट कार्ड, 14 फर्जी आधार कार्ड, पांच फजी ड्राइविंग लाइसेंस, कंपनियों के 35 स्टाम्प, कई कंपनियों के लैटरहेड और अलग-अलग बैंकों के 50 हजार से जयादा खाताधारकों के बैंक की डिटेल मिली.
पुलिस ने आरोपी के संबंध में यह बताया
पुलिस को जांच के बाद पता चला कि आरोपी सबरवाल विलय होने बैंक के खाताधारकों को फ़ोन करता था. जहां आरोपी खुद का बैंक का कर्मचारी बता कर बैंक के ग्राहकों से बैंक डिटेल के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की जानकारी लेता था. खाते से संबंधित साड़ी जानकारी प्राप्त करने के बाद, वह बैंक में अपने खाताधारक होने का दावा कर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर को बदलने का अनुरोध करता था. मोबाइल नंबर बदलते ही वह बैंक से पैसे निकाल लेता था.