शराब घोटाला: आरोपियों ने कमीशनखोरी से ही कमाए 2161 करोड़
ईडी के एफआईआर में पूर्व मंत्री-विधायक से लेकर आईएएस भी, मंत्री और आयुक्त को जाते थे हर महीने 50-50 लाख रायपुर। ईडी की शिकायत पर अब एसीबी कथित कोयला लेवी और शराब घोटाला मामले में एंटी करप्सन ब्यूरो ने राज्य आर्थिक अपराध शाखा और प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत के आधार पर दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज …
ईडी के एफआईआर में पूर्व मंत्री-विधायक से लेकर आईएएस भी, मंत्री और आयुक्त को जाते थे हर महीने 50-50 लाख
रायपुर। ईडी की शिकायत पर अब एसीबी कथित कोयला लेवी और शराब घोटाला मामले में एंटी करप्सन ब्यूरो ने राज्य आर्थिक अपराध शाखा और प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत के आधार पर दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है। शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा तथा भारतीय दंड विदान की दारा 420, 467, 468, 471, व 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की है। कथित कोयला व शराब घोटाले में 71 व कोयला लेवी मामले में 35 नामजद लोगों के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध हुआ है। कथित कोयला लेवी घोटाले की प्राथमिकी में 35 आरोपियों में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, विधायक देवेंद्र यादव, पूर्व विधायक यूडी मिंज, गुलाब कमरो, चंद्रदेव राय, शिशुपाल सोरी, बृहस्पत सिंह, निलंबित आईएएस समीर विश्नोई, रानू साहू के नाम प्रमुख है।
साढ़े 4 सौ करोड़ की कोल लेवी वसूली और 6 हजार करोड़ के शराब घोटाले में फंसे मंत्री, विधायक, अफसरों की मुश्किल कम होती नजर नहीं आ रही हैं। इन मामलों की जांच कर रही ईडी ने 17 जनवरी को एफआईआर रायपुर स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में दर्ज कराई है।
ईडी सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने तीन पूर्व मंत्रियों, कुछ पूर्व विधायकों, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित आईएएस, एक रिटार्यड आईएएस, कई कांग्रेस नेताओं सहित 100 अधिक लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने एंटी करप्शन ब्यूरो में दो अलग-अलग मामलों में दर्ज कराई। कोयला घोटाले में 33 और शराब घोटाले में 70 से ज्यादा लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट है।
डुप्लीकेट होलोग्राम से 20 करोड़ की कमाई
ईडी के अनुसार अरूणपति त्रिपाठी को अपराधिक कृत्य से करोड़ों की अवैध राशि प्राप्त होने की जानकारी मिली है। इसमें लगभग 20 करोड़ रुपए की अवैध रकम डुप्लीकेट होलोग्राम युक्त देसी मदिरा बिक्री से कमीशन बतौर प्राप्त हुई है।
शराब घोटाला केस
छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में शराब घोटाले में एक दूसरी एफआईआर दर्ज की है, जिसमें 70 से अधिक लोगों के नाम है। शराब घोटाले की एफआईआर में पिछले एक मुख्य सचिव विवेक ढांढ का नाम भी है। एक रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा और अखिल भारतीय सेवा के अन्य अफसर अरुण पति त्रिपाठी के अलावा अनवर ढेबर का नाम है।
राज्य सरकार के पिछले कांग्रेसी आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम है। एक अन्य पिछले आबकारी कमिश्नर निरंजन दास का भी नाम इस एफआईआर में है. इसके अलावा रायपुर के रतन प्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी इस एफआईआर में है। इसके बाद आबकारी विभाग के दर्जनों अधिकारियों के नाम इसमें हैं। अफसरों से परे भिलाई के विजय भाटिया, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, यश टुटेजा, नितेश पुरोहित, यश पुरोहित जैसे कारोबारी के नाम भी इसमें है। प्रदेश की तीन बड़ी डिस्टलरी के नाम भी इसमें आरोपी लिखे गए हैं। कुछ ऐसी फर्मों के नाम भी हैं जो कि प्रदेश के बाहर की शराब खरीद कर राज्य सरकार को बेचने का काम करती थी। ढेबर परिवार की और कई फर्मों के नाम इसमें हैं, और परिवार के सदस्यों के नाम भी हैं। कांग्रेस पार्टी के कई पदाधिकारी के नाम है। 13 पेज लंबी इस एफआईआर में राज्य में कैसे शराब घोटाला किया गया, कैसे नकली होलोग्राम लगाकर सरकार ने ही दो नंबर की शराब बनवाई और बेची, इसका पूरा किस्सा एफआईआर में लिखा गया है।
कोल घोटाले के आरोपी
श्रीमती सौम्या चौरसिया, तत. उप सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय, छ.ग. शासन, समीर बिश्नोई, आई.ए.एस.. ततनिदेशक भू-विज्ञान एवं खनिज 03, श्रीमती रानू साहू, आई.ए.एस. तत्कालीन कलेक्टर कोरबा, संदीप कुमार नायक, सहायक खनिज अधिकारी, शिवशंकर नाग खनिज अधिकारी, सूर्यकांत तिवारी, मनीष उपाध्याय, रौशन कुमार सिंह, निखिल चंद्राकर, राहुल सिंह, पारेख कुर्रे, मोईनुद्दीन कुरैशी, विरेन्द्र
ईडी का खुलासा, इस तरह होती थी उगाही
ईडी ने कोल लेवी स्कैम में आरोपी सूर्यकांत तिवारी, सीएम की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर विश्नोई और खनिज विभाग के अन्य अफसरों के खिलाफ पीएमएलए के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की। इन सभी 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर करीब 222 करोड़ की संपत्ति अटैच की है।
ईडी ने बताया कि आरोपी सूर्यकांत तिवारी, सौम्य चौरसिया, कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर राजनीतिक हस्तियों के संरक्षण में आपराधिक षडय़ंत्र किया गया। यह बताया गया कि खनिज के डीओ, और ट्रांसपोर्ट परमिट को ऑनलाईन की जगह मैनुअल पद्धति से करने का आदेश पारित किया गया। इसके लिए ऑनलाईन सिस्टम में एरर दर्शाया गया।
जांच में यह पाया गया कि प्रदेश के रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर, जैसे बहुमूल्य क्षेत्रों में खनिज अधिकारियों ने खनिज संचालनालय से जारी मैनुअल डीओ और परमिट्स के आदेश को आधार बनाकर कोयला ट्रांसपोर्टरों से 25 रूपए टन के हिसाब से अवैध वसूली की गई। इस तरह कोरबा के तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी को अवैध लेवी की रकम 552 करोड़ प्राप्त होने के साक्ष्य मिले हैं।
ईडी ने जांच में पाया कि सूर्यकांत तिवारी, हेमंत जायसवाल, नवनीत तिवारी, निखिल चंद्राकर, रौशन कुमार सिंह, और रजनीकांत तिवारी के जरिए कोयला बाहुल्य जिलों के ट्रांसपोर्टरों अथवा खरीददारों से दबाव डालकर 25 रूपए प्रति टन लेवी देने पर ही डीओ और टीपी मेनुअल जारी करने के निर्देश खनिज अफसरों को वॉट्सऐप चैट के जरिए दिया जाता था। जांच में कोयले के अलावा लौह अयस्क, और डीएमएफ में भी अवैध लेवी उगाही कर सूर्यकांत तिवारी के अनुपम नगर स्थित घर पहुंचाना पाया गया है।
जायसवाल, रजनीकांत तिवारी, हेमंत जायसवाल, जोगिन्दर सिंह, नवनीत तिवारी, दिपेश टांक, देवेन्द्र डडसेना, राहुल मिश्रा, रामगोपाल अग्रवाल, तत्कालीन कोषाध्यक्ष, छ.ग. कांग्रेस पार्टी, देवेन्द्र सिंह यादव, तत्कालीन विधायक, भिलाई नगर, शिशुपाल सोरी, तत्कालीन विधायक, कांकेर, रामप्रताप सिंह, तत्कालीन प्रवक्ता, कांग्रेस, विनोद तिवारी, तत्कालीन पी.ई.पी.,अमरजीत भगत, तत्कालीन विधायक, सीतापुरस चंद्रदेव प्रसादराय, तत्कालीन विधायक, बिलईगढ़, बृहस्पत सिंह, तत्कालीन विधायक, रामानुजगंज, इदरीश गांधी, पी.ई.पी., गुलाब कमरो, तत्कालीन विधायक, भरतपुर-सोनहत, यु.डी. मिंज, तत्कालीन विधायक, कुनकुरी, सुनील कुमार अग्रवाल, इंद्रमणी ग्रुप निवासी रायपुर, जय, सूर्यकांत का साथी, चंद्रप्रकाश जायसवाल, निवासी कोरबा, लक्ष्मीकांत तिवारी एवं अन्य।
कांग्रेस नेता आरपी सिंह को नहीं मिली जमानत, कोयला घोटाले में याचिका ख़ारिज
कोल मामले में आरोपी बनाए गए कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई है। ईडी के अधिवक्ता धीरेंद्र नंदे ने बताया कि कांग्रेस प्रवक्ता के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि आरपी सिंह राज्य के प्रतिष्ठित व्यक्ति होने के साथ ही एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रवक्ता भी हैं। उनका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है।कोल घोटाले से भी उनका कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए उन्हें जमानत का लाभ दिया जाए। ईडी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरपी ?सिंह ने पूछताछ में खुद कबूल किया ?था कि उन्हें मीडिया मैनेजमेंट और पार्टी फंड से पैसा दिया गया था। कोल मामले में आरोपी निखिल चंद्राकर ने भी कोल स्कैम का पैसा आरपी सिंह को देना कबूल किया था। दोनों पक्षों की ओर से दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
शराब घोटाले के आरोपी
अनिल टूटेजा, तत्कालीन संयुक्त सचिव, अनवर ढेबर, ए.पी.त्रिपाठी, एमडी छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड, मेसर्स रतन प्रिया प्रा.लि., कवासी लखमा तत्कालीन आबकारी मंत्री, निरंजन दास, तत्कालीन आबकारी आयुक्त, जनार्दन कौरव, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी, अनिमेष नेताम, आबकारी अफसर, विजय सेन शर्मा, आबकारी अफसर, प्रमोद कुमार पटले, आबकारी अफसर, रामकृष्ण मिश्रा, आबकारी अफसर, विकास कुमार गोस्वामी, आबकारी अफसर, इकबाल खान, आबकारी अफसर, नितिन खंडूजा, आबकारी अफसर, नवीन प्रताप सिंह तोमर, आबकारी अफसर, मंजूश्री कसेर, आबकारी अफसर, सौरभ बख्शी, आबकारी अफसर, दीनकर वासनिक, आबकारी अफसर, आशीष श्रीवास्तव, आबकारी अफसर, अशोक कुमार सिंह, आबकारी अफसर, मोहित कुमार जायसवाल, आबकारी अफसर, नीतू नोतानी उपायुक्त, रवीश तिवारी, आबकारी अफसर, गरीब पाल दर्दी, आबकारी अफसर, सोनल नेताम, आबकारी अफसर, अरविंद सिंह, अनुराग द्विवेदी, मे. अनुराग ट्रेडर्स, अमित सिंह, अदिप एग्रोटेक, नवनीत गुप्ता, पिंकी सिंह, विकास अग्रवाल सुब्बू, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, मे. ढिल्लन प्रा.लि., यश टूटेजा, नीतेश पुरोहित, यश पुरोहित, अभिषेक सिंह, मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा, ओम सांई ब्रेवरेज, विजय भाटिया, आशीष सौरभ केडिया, मे. दिशिता वेंचर्स प्रा.लि., मे. छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज, मे. भाटिया वाइन एवं मर्चेंंट, मे. वेलकम डिस्टलरीज, सिद्धार्थ सिंघानिया, मे. सुमीत फैशलिटीज, बच्चाराज लोहिया, मे. हंटर सॉल्यूशन, मे. अलर्ट कमांडो प्रा.लि., अमित मित्तल, मे. ए टू जेड प्रा.लि., मे. उदय राव, मे. प्राइम वन वर्क फोर्स, लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, विधु गुप्ता, प्रीज्म होलोग्रॉफी, दीपक दुआरी, दिपेन चावड़ा, मे. प्राईम डेव्हलपर्स, मे. ए.बिल्डकॉन, मे. ए.जे.एस. एग्रोटेक प्रा.लि., सफायर इस्पात के मालिक उमेर ढेबर, और जुनैद ढेबर, अख्तर ढेबर, मे. जगदम्बा इंटरप्राइजेस, अशोक सिंह, सुमीत मलो, रवि बजाज, अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारीगण, विवेक ढांड, अन्य आबकारी अफसर, और विकास अग्रवाल के साथीगण।
इस तरह हुआ था शराब घोटाला
ईडी ने बताया कि आईएएस अनिल टूटेजा, द्वारा अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, विशेष सचिव आबकारी विभाग, सिंडिकेट के रूप में काम करते रहे। अनवर ढेबर के सहयोगी विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, अरविंद सिंह, संजय दीवान, और देशी शराब डिस्टलरी मालिक और विभिन्न जिलों में आबकारी अफसरों के साथ मिलकर शराब की बिक्री में अवैधानिक कमीशन की उगाही की गई, साथ ही बिना हिसाब के शराब की सरकारी शराब दुकानों में सप्लाई कर करीब 2161 करोड़ की अवैध कमाई कर शासन को क्षति पहुंचाई गई।
अवैध रकम से अर्जित अनिल टूटेजा, अरूणपति त्रिपाठी, और अनवर ढेबर की अचल संपत्ति को अर्जित की गई। ईडी ने जांच में यह भी पाया कि देशी शराब के निर्माणकर्ता छत्तीसगढ़ डिस्टलरी मे. भाटिया वाइन मर्चेंट लि., और वेलकम डिस्टलरी जिन्हें राज्य में देशी शराब प्रदान करने का लाइसेंस प्राप्त है। अनवर ढेबर द्वारा अनिल टूटेजा से अपने पारिवारिक संबंध, और राजनीतिक प्रभाव का लाभ लेते हुए सीएस एमसीएल के एमडी अरूणपति त्रिपाठी के साथ मिलकर डिस्टलरियों से शराब निर्माण कराने के रेट में बढ़ोत्तरी कर मालिकों से लाखों रूपए का अवैध कमीशन प्राप्त किया गया। इसी तरह देशी शराब की सप्लाई के लिए राज्य में बनाई गई सरकारी शराब दुकानों की व्यवस्था के समानांतर नई व्यवस्था बनाकर डिस्टलरी संचालकों से बिना रिकॉर्ड के देशी शराब का निर्माण कर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर सरकारी शराब दुकानों के जरिए पृथक से शराब बिक्री कराकर करोड़ों की अवैध कमाई की गई। इस कृत्य में डिस्टलरी मालिकों, सप्लाईकर्ता एजेंसियों, होलोग्राम प्रदायकर्ता एजेंसी, और आबकारी विभाग के अफसर संलग्न रहे हैं।