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गांव में सदियों से शराबबंदी लागू, कानून नहीं इस चीज से डरकर हाथ नहीं लगाते लोग

jantaserishta.com
3 March 2022 3:24 PM GMT
गांव में सदियों से शराबबंदी लागू, कानून नहीं इस चीज से डरकर हाथ नहीं लगाते लोग
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बिहार: वैसे तो बिहार में बीते 6 सालों से पूर्ण शराबबंदी लागू है और लोगों के शराब पीने या बेचने पर पाबंदी है, लेकिन क्या आपको पता है वहां एक ऐसा गांव भी है जहां कुलदेवता लोगों को शराब नहीं पीने देते हैं.

बिहार के जमुई में एक अनोखा गांव है जिसका नाम गंगरा है. जमुई मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर गिद्धौर प्रखंड में स्थित गंगरा गांव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों का गांव बन सकता है क्योंकि यहां एक अप्रैल 2016 से नहीं बल्कि सदियों से शराबबंदी लागू है.
गांव के लोगों की बात कौन करे, गांव से जुड़े सभी रिश्तेदार और गांव के लोग सदियों से कुलदेवता के डर से शराब को हाथ नहीं लगाते. बिहार ही नहीं शायद यह देश का एकमात्र गांव है जो शराब से पूरी तरह दूर है. इस गांव में बीते सात सौ साल से शराब को लेकर पाबंदी है.
ग्रामीणों की मानें तो गांव में कोई रिश्तेदार भी शराब का सेवन करके गांव नहीं आ सकता. यहां किसी सरकार या पुलिस का नहीं बल्कि कुलदेवता का कानून चलता है. उनके डर से लोग शराब को हाथ नहीं लगाते. जो शराब पीता है, उसे भारी नुकसान उठाना पड़ता है. गांव के लोगों का दावा है कि अगर यहां कोई भी शख्स शराब को छू भी ले तो उससे कुलदेवता नाराज हो जाते हैं और उस परिवार को नुकसान उठाना पड़ता है.
कुलदेवता को पसंद नहीं शराब
गंगरा गांव के सेवानिवृत शिक्षक लखन लाल पांडेय और रामजी सिंह बताते हैं कि यहां के लोग अपने कुलदेवता कोकिलचंद से काफी डरते हैं. कुलदेवता को शराब बिल्कुल पसंद नहीं है. सदियों से इस गांव में किसी पार्टी और फंक्शन में भी शराब नहीं परोसी जाती है. यदि कोई रिश्तेदार शराब पी लेता है, तो उसे गांव में आने की मनाही होती है.
गंगार गांव
यदि कोई भूल से पीकर आ भी गया, तो उसे गांव के बाहर रूकना पड़ता है. गांव के लोग दावा करते हैं कि लगभग 700 साल पहले से जब गांव के कुलदेवता यहां आकर बसे तब से लोगों ने शराब का सेवन नहीं किया. चार हजार की आबादी वाले इस गांव में लोग दुनिया के किसी कोने में रहें, शराब को हाथ नहीं लगाते हैं.
गांव में लागू है तीन सूत्र
गांव के ग्रामीण विष्णु पांडेय और अरविंद कुमार बताते हैं कि गांव के कुछ लोगों ने पहले शराब पीने की कोशिश की थी जिसके बाद कथित तौर पर कुलदेवता नाराज हो गए. उनके परिवार में परेशानी बढ़ गई. सबकुछ उल्टा होने लगा जिसके बाद उनलोगों ने भी शराब नहीं पीने की कसम खाई.
गांव में तीन परंपरा है. पहला मवेशी का दूध नहीं बेचना, नारी सम्मान की रक्षा करना और शराब से दूर रहना. कुलदेवता के ये तीनों सूत्र गांव के लोग मानते हैं.
गांव को किया जाएगा सम्मानित
गांव के बारे में डीएम अवनीश कुमार सिंह कहते हैं कि ये बहुत बड़ी बात है कि गांव के लोग शराब सेवन नहीं करते और कुलदेवता की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं.
डीएम ने कहा कि निश्चित तौर पर बिहार सरकार के शराबबंदी कानून को ये गांव बल दे रहा है. डीएम ने बताया कि शराबबंदी कानून को लेकर इस गांव के लोग आदर्श हैं, इन्हें जल्द ही सम्मानित किया जाएगा.
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