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राजस्थान में शराब हो सकती है सस्ती, कोविड सरचार्ज समाप्त

Rani Sahu
5 Feb 2022 11:42 AM GMT
राजस्थान में शराब हो सकती है सस्ती, कोविड सरचार्ज समाप्त
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गहलोत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए शनिवार को नई आबाकारी नीति जारी कर दी है

गहलोत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए शनिवार को नई आबाकारी नीति जारी कर दी है। आबकारी नीति की खास बात यह है कि इसमे आबकारी ड्यूटी, फीस एवं सरचार्ज एवं उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राहत दी गई है। गहलोत सरकार ने सभी आबकारी उत्पादों पर कोविड सरचार्ज समाप्त कर दिया है। इसकी वजह से प्रदेश में शराब के दामों कमी आना तय माना जा रहा है। गहलोत सरकार ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में आबकारी उत्पादों पर कोविड़ जार्ज लगाया था। जिसकी वजह से प्रदेश में शराब को दामों में बढ़ोतरी हो गई थी। गहलोत सरकार ने जून 2020 में खाली चल रहे सरकारी खजाने को भरने के लिए एक बोतल पर 30 रुपचे का सरचार्ज लगा दिया था। जिसकी वजह से प्रदेश में शराब महंगी हो गई थी। सरकार तर्क था कि कोरोनाकाल में वित्तीय संसाधन शराब पर सरचार्ज लगाकर ही जुटाए जा सकते हैं। सरकार की पहली प्राथमिकता प्रदेशवासियों को कोरोना से बचाने की है।

गहलोत सरकार ने की बोटलिंग फीस में कमी
गहलोत सरकार ने अपनी नई आबाकारी नीति में भारत निर्मित विदेशी मदिरा की EDB स्लैब्स में कमी तथा स्लैब्स वाइज आबकारी शुल्क तथा अतिरिक्त आबकारी शुल्क का निर्धारण किया है। बीयर आदि पर cst पर ED/AED चार्ज नहीं किए जाने का प्रावधान किया है। राजस्थान निर्मित मदिरा में पर्याप्त बढ़ोतरी करने के साथ ही बोटलिंग फीस में कमी की है। देशी शराब एवं राजस्थान निर्मित शराब पर आबकारी ड्यूटी घटाई गई है। 185 एवं 200 रुपये प्रति एलपीएल तथा बेसिक लाइसेंस फीस 46 एवं 80 रुपये प्रति बल्क लीटर की गई है। बीयर में EDP के आधार पर रिटेलर के मार्जिन का निर्धारण किया गया है।
गहलोत सरकार ने 2020 में लगाया था सरचार्ज
गहलोत सरकार ने 2020 में भारन निर्मित विदेशी शराब 180 एमएल बोतल पर 5 रुपये,375 एमएल की बोतल पर 5 रुपये, 750 एमएल की बोतल पर 10 रुपये, ब्रीजर पर 5 रुपये. मैनिएचर और अन्य पैकिंग पर 5 रुपये, बीआईओ का 750 एमएल की बोतल पर 30 रुपये औऱ बीयर की 650 एमएल की बोतल पर 20 रुपये और राजस्थान निर्मित शराब की बोतल पर 1.50 रुपये का सरचार्ज लगाया था। गहलोत सरकार का कहना था कि कोरोना की विकट परिस्थितियों से राज्य की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इसलिए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए आबकारी उत्पादों पर कोविड शुल्क लगाया गया।


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