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बड़े देशों की तरह भारत में भी ट्रैफिक नियम तोड़ना पड़ेगा महंगा, ये है वजह

jantaserishta.com
21 Jan 2021 3:43 AM GMT
बड़े देशों की तरह भारत में भी ट्रैफिक नियम तोड़ना पड़ेगा महंगा, ये है वजह
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केंद्र सरकार ने साल 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्‍या को घटाकर आधे पर लाने का आह्वान किया है. केन्‍द्रीय परिवहन नितिन गडकरी ने कहा कि सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए.

नितिन गडकरी ने स्‍वीडन का उदाहरण दिया जहां सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए बिल्‍कुल बर्दाश्‍त न करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई गई. सड़क सुरक्षा उपायों के संबंध में जागरुकता बढ़ाने और लोगों को शिक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए.
गडकरी ने बताया कि भारत में हर रोज 30 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो रहा है जो कि महामारी के समय में एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है. उन्‍होंने राज्‍य सरकारों से कहा कि वे लोगों को सड़क पर सुरक्षित तौर पर चलने के लिए प्रोत्‍साहित करें और इस काम में स्‍वयंसेवी संगठनों को शामिल करें.
ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर अब आपको पहले से महंगा इंश्योरेंस मिलेगा. बीमा नियामक आईआरडीएआई (IRDAI) की एक वर्किंग ग्रुप ने सुझाव दिया है कि मोटर इंश्‍योरेंस के लिए एक ट्रैफ‍िक वॉयलेशन प्रीमियम को जोड़ा जाए. इसके तहत जो लोग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करेंगे, उन्हें अपने ऑटो इंश्योरेंस के लिए अधिक प्रीमियम का भुगतान करना होगा. फिलहाल अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई यूरोपीय देशों में वाहन चालकों का क्रेडिट रिकॉर्ड रखा जाता है और उसके आधार पर ही उनकी बीमे की किस्तें तय होती हैं.
IRDAI की वर्किंग ग्रुप ने टैफिक नियमों का उल्लधंन रोकने के लिए ट्रैफ‍िक वॉयलेशन प्रीमियम क सुझाव दिया है. वर्किंग ग्रुप ने मोटर इंश्‍योरेंस के पांचवें सेक्‍शन को बदलकर ट्रैफ‍िक वॉयलेशन प्रीमियम करन का सुझाव दिया है. 1 फरवरी 2021 तक मांगे सुझाव IRDAI ने वर्किंग ग्रुप की सिफारिशों पर संबंधित पक्षों से 1 फरवरी 2021 तक जरूरी सुझाव मांगे गए हैं.
सड़क हादसों पर लगाम के लिए साल 2019 में मोटर व्हीकल कानून में संशोधन किया गया था, जिसमें ट्रैफिक से जुड़े जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई. साल 2020 के शुरुआती 6 महीनों में सड़क दुर्घटनाओं में 35 फीसदी की कमी आई. देश में जनवरी से जून 2020 तक 1,60,000 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जो कि पिछले 6 साल की औसत संख्या से 35 फीसदी कम हैं. हालांकि इस दौरान कोरोना संक्रमण की वजह से करीब 2 महीने तक देश में लॉकडाउन था.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से जून के बीच (साल 2014 से 2019 तक) औसतन 2,48,000 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई थीं. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक रिपोर्ट में पिछले सालों में हुई सड़क दुर्घटनाओं का महीने के हिसाब से ब्रेकअप जारी किया गया है.


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