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उम्रकैद: हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, आरोपी ने गर्लफ्रेंड के साथ...
jantaserishta.com
6 July 2022 11:12 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
जानें पूरा मामला।
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2008 में होटल के कमरे में अपनी 20 साल की गर्लफ्रेंड की हत्या के लिए बॉयफ्रेंड की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है. अभियोजन पक्ष के अनुसार, हत्या के बाद आरोपी ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था.
न्यायमूर्ति पीबी वराले और न्यायमूर्ति एसडी कुलकर्णी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी गिरी ने युवती सामंथा पर शक करने के बाद उसकी हत्या कर दी और फिर पहले चोट पहुंचाकर और फिर जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया. अदालत ने कहा कि महिला के शरीर पर चोट के 19 निशान थे, जिससे साफ पता चलता है कि आरोपी ने उसे खत्म करने की योजना बनाई थी.
गिरी ने अपने बचाव में कहा था कि सामंथा और वह करीबी दोस्त थे और शादी करने वाले थे. उसके पास उसकी हत्या करने का कोई कारण नहीं था. गिरी ने कहा कि होटल मालिक के कहने पर उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. दूसरी ओर अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने कहा कि गिरी को सामंथा की लॉयलटी पर संदेह था और इस तरह हत्या एक बंद कमरे में हुन द्वारा की गई थी. शिंदे ने कहा कि यह पूर्व नियोजित था और वह हथियारों से लैस था और उसने हत्या करने की अपनी योजना को अंजाम दिया था.
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के सबूतों ने अपनी प्रेमिका सामंथा की हत्या में गिरी की भागीदारी और संलिप्तता की ओर इशारा किया. अदालत ने गिरी के इस तर्क को भी मानने से इनकार कर दिया कि उन पर और उनकी प्रेमिका पर तीन अज्ञात लोगों ने हमला किया था. अदालत ने फैसला सुनाते हुए मई 2012 में एक सत्र अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें गिरी को हत्या और आत्महत्या के प्रयास का दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 20 मार्च 2008 को पीड़ित सामंथा फर्नांडीस और गिरी नवी मुंबई के रबाले में एक होटल के कमरे में पाए गए थे. उन्हें पुलिस द्वारा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने घायल सामंथा को मृत घोषित कर दिया था, लेकिन गिरी को होश आया और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उच्च न्यायालय ने दोषी करार दिए गए गिरी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य स्पष्ट थे और परिस्थितियां आरोपी के अपराध को साबित करती हैं. हत्या के पीछे के मकसद के बारे में कोई संतोषजनक सबूत नहीं होने पर भी इसे कमजोर नहीं किया गया है.
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