लेखपाल का कारनामा, पैसे नहीं मिले तो बुजुर्गों को बना दिया भू माफिया
यूपी। उत्तर प्रदेश के बरेली (Bareilly) की मीरगंज के लिए गांव में जन्म से नेत्रहीन बुजुर्गों से जमीन के खसरा के 100 रुपए ना देने पर लेखपाल द्वारा नेत्रहीन बुजुर्गों को भू माफिया बनाने का मामला सामने आया है. नेत्रहीन महेंद्र पाल सिंह ने पट्टे की मिली ग्रामसभा जमीन का लेखपाल से खसरा निकलवाने के लिए कहा था और लेखपाल ने खसरा निकालने के बदले सो रुपये मांगे थे. जब नेत्रहीन (Blind) बुजुर्ग ने 20 रुपये देने को कहा था. लेखपाल को सो रुपये नहीं मिले तो उसने नेत्रहीन बुजुर्गों भू माफिया (Land Mafia) बना दिया और जमीन में ट्रैक्टर चलवा दिया. परेशान होकर नेत्रहीन बुजुर्ग ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की है और मुख्यमंत्री से इच्छा मृत्यु की मांग की है.
बरेली के कस्वा मीरगंज तहसील के गांव सुल्तानपुर के रहने वाले महेंद्र पाल सिंह जन्म से नेत्रहीन है और उन्होंने अब से 40 साल पहले 5 बीघा जमीन पर पट्टा कराया था. महेंद्र पाल सिंह का आरोप है कि लेखपाल जमीन का खसरा निकलवाने के लिए कहा तो लेखपाल ने महेंद्र पाल सिंह से सो रुपये मांगे. जब महेंद्र पाल सिंह ने सो रुपये ना होने की बात कहकर 40 रुपये देने को कहा तो लेखपाल ने जन्म से नेत्रहीन महेंद्र पाल सिंह को भू-माफिया घोषित कर दिया. इतना ही नहीं उनकी 5 बीघा जमीन पर ट्रैक्टर चलवा दिया. बुजुर्ग ने परेशान होकर उच्च अधिकारियों से शिकायत की.
उसके कई दिनों बाद पूरे मामले की जांच हुई. फिर कहीं लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई हुई. जन्म से नेत्रहीन बुजुर्ग का कहना है कि अब मेरे पास कुछ नहीं बचा है, अब मैं क्या खाऊंगा और अपना जीवन यापन कैसे करूंगा? इससे तो इच्छा मृत्यु ही ठीक है कि मैं अपनी इच्छा मृत्यु कर लूं. बुजुर्ग ने मुख्यमंत्री पोर्टल शिकायत की है और मुख्यमंत्री से इच्छा मृत्यु की मांग की है. बरेली के मीरगंज तहसील के गांव सुल्तानपुर के रहने वाले महेंद्र पाल सिंह जन्म से ही नेत्रहीन हैं और उनके लिए गांव के जमीदार ने कुछ जमीन दी थी. 40 साल पहले नेत्रहीन महेंद्र पाल सिंह को 5 बीघा जमीन का पट्टा कराया गया था और इन जमीनों को महेंद्र पाल बटाई पर देकर अपना जीवन यापन किया करते थे. नेत्रहीन बुजुर्ग का आरोप है कि अब मेरी सारी जमीन चली गई है. मुझे भू माफिया घोषित कर दिया है. अब मैं अपना जीवन यापन कैसे कर पाऊंगा.