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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पेशेवर लापरवाही के लिए वकीलों पर मुकदमा नहीं हो सकता, पढ़ें पूरा फैसला

jantaserishta.com
14 May 2024 8:41 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पेशेवर लापरवाही के लिए वकीलों पर मुकदमा नहीं हो सकता, पढ़ें पूरा फैसला
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक फैसले में कहा कि सेवाओं में कमी के लिए अधिवक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक फैसले में कहा कि सेवाओं में कमी के लिए अधिवक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उद्देश्य और विषय केवल उपभोक्ताओं को अनुचित प्रथाओं एवं अनैतिक व्यावसायिक प्रथाओं से सुरक्षा प्रदान करना है। विधायिका का इरादा कभी भी व्यवसाय या इसके पेशेवरों को क़ानून के तहत शामिल करने का नहीं था।
पीठ ने कहा कि हमने 'पेशे' को 'व्यवसाय' और 'व्यापार' से अलग किया है। हमने कहा है कि किसी पेशे के लिए एजुकेशन या साइंस की किसी ब्रांच में एडवांस एजुकेशन और ट्रेनिंग की जरूरत होगी। काम की प्रकृति अलग है, जिसमें शरीर के बजाय दिमाग पर ज्यादा जोर पड़ता है। किसी पेशेवर के साथ किसी व्यवसायी या व्यापारी की तरह समान व्यवहार नहीं किया जा सकता।" हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक वकील पर साधारणतया लापरवाही के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है।
इससे पहले 2007 में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने फैसला सुनाया था कि अधिवक्ताओं द्वारा प्रदान की गई सेवाएं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में आती हैं। अपील पर, सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2009 में पारित एक अंतरिम आदेश में, अपील के लंबित रहने के दौरान एनसीडीआरसी के फैसले के लागू होने पर रोक लगा दी थी।
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