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कसा कानून का शिकंजा IPS समेत 18 पुलिसकर्मियों पर, मचा हड़कंप

jantaserishta.com
28 Nov 2024 10:02 AM GMT
कसा कानून का शिकंजा IPS समेत 18 पुलिसकर्मियों पर, मचा हड़कंप
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वसूली लिस्ट हुई थी वायरल.
गाजीपुर: यूपी के गाजीपुर में सिपाही की शिकायत पर आईपीएस समेत 18 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध नंदगंज थाना में आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ है. इसमें चंदौली जिले के एसपी रहे अमित कुमार (द्वितीय) के साथ कोतवाल, दारोगा और कई सिपाहियों के नाम शामिल हैं. दरअसल, साल 2021 में चंदौली में तैनात सिपाही अनिल कुमार सिंह ने पुलिस वालों द्वारा की जा रही अवैध धन वसूली का भंडाफोड़ किया था. SIT जांच में सिपाही के आरोपों को सही पाया गया था, जिसके बाद तत्कालीन एसपी अमित कुमार के साथ सभी 18 पुलिस वाले सिपाही अनिल की जान के पीछे पड़ गए.
सिपाही अनिल कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि रसूखदार अफसरों ने इस भंडाफोड़ के बाद चार लोगों की हत्या कराकर उसका भी अपहरण करने प्रयास का किया था. पीड़ित अनिल वाराणसी का रहने वाला है. जबकि, गाजीपुर के नंदगंज के ग्राम बड़सरा में उसकी ससुराल है. आरोप है कि जुलाई, 2021 को ससुराल से उसके अपहरण की असफल कोशिश की गई थी. जिसके बाद अनिल द्वारा नंदगंज थाने में तहरीर दी गई, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
आखिर में मामला सीजीएम कोर्ट 156/3 में गया, फिर हाईकोर्ट गया, जहां से केस दर्ज करने का आदेश पारित हुआ. लेकिन फिर भी केस दर्ज नहीं किया गया. ऐसे में कंटेंम्ट के आदेश पर आखिरकार 27 नवंबर को केस दर्ज हुआ. हाईकोर्ट के आदेश पर इन सभी पुलिस वालों के खिलाफ लगभग तीन साल बाद कल नंदगंज थाने में एफआईआर लिखी गई है.
आपको बता दें कि गाजीपुर के नंदगंज थाने में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जहां एक सिपाही अनिल कुमार सिंह की शिकायत पर उसके ही विभाग के एसपी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और अन्य सिपाहियों के खिलाफ लगभग 10 संगीन आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है. हालांकि, इस एफआईआर पर अभी कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहा है.
ये मामला साल 2021 से लंबित था. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद जब पुलिस वालों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ तो शिकायतकर्ता सिपाही ने हाईकोर्ट में कंटेंम्ट दायर किया, जिसके बाद 27 नवंबर 2024 को नंदगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई. पूरा मामला पुलिस के कथित संगठित अपराध और मासिक 12,50,000 रुपये वसूली से जुड़ा हुआ है और बहुत ही गंभीर है.
हुआ ये था कि चंदौली में तैनाती के वक्त सिपाही अनिल ने अपने ही महकमे के लोगों द्वारा की जा रही अवैध धन वसूली का भंडाफोड़ किया था. उसने वसूली लिस्ट वायरल कर दी थी, जिसकी जांच डीआईजी विजिलेंस द्वारा की गई, इसमें सिपाही द्वारा लगाए गए आरोप सत्य पाए गए. आरोप है कि इस मामले से क्षुब्ध होकर एसपी ने सिपाही को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद एसपी, इंस्पेक्टर आदि बदले की भावना से ग्रस्त होकर योजनाबद्ध तरीके से सिपाही को फर्जी मुकदमे में फंसाने में लग गए. जब ये नहीं हो पाया तो उसके अपहरण व हत्या की असफल कोशिश करवाई. वहीं, इसी दौरान करप्शन उजागर करने में शामिल रहे अन्य चार लोगों की हत्या हो गई. कई बार शिकायत करने के बावजूद पीड़ित सिपाही का मुकदमा नहीं दर्ज किया गया. जिसके चलते पीड़ित ने कोर्ट की शरण ली.
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