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चूहों को मारने के लिए मिलते है लाखों रुपए, इस राज्य में होती ऐसी हत्याएं

Shantanu Roy
6 July 2023 3:08 PM GMT
चूहों को मारने के लिए मिलते है लाखों रुपए, इस राज्य में होती ऐसी हत्याएं
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जानिए क्या है वजह
मुंबई। चूहों के ऐसे कारनामे अक्सर आप सुनते रहते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुंबई में चूहे मारने पर पैसे भी मिलते हैं. इसका कारण है चूहों से फैलने वाली बीमारी लेप्टोस्पायरोसिस,जिससे हाल ही में एक व्यक्ति की मौत हुई है. खास बात ये है किबीएमसी चूहों को मारने के लिए हर साल टेंडर निकालती है, बजट तय करती है, चूहे मारने वाले तैनात किए जाते हैं और फिर उन्हें उठाने के लिए मजदूर भी लगाए जाते हैं. महाराष्ट्र में चूहों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए सबसे पहले 90 के दशक में रेट किलर्स की भर्ती की गई थी. उस वक्त 33 रेट किलर्स के पद निकाले गए थे, एक रिपोर्ट के मुताबिक इन पदों पर नियुक्ति के लिए 4 हजार से ज्यादा आवेदन आए थे. इसके बाद से लगातार बीएमसी चूहों से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए हर साल चूहे मारने के लिए बजट आवंटित करती है, वर्तमान में मुंबई के 12 वार्डों में चूहों को मारने के लिए रेट किलर्स तैनात हैं, इन्हें नाइट रेट किलर्स कहा जाता है जो रात में हाथ में डंडा लेकर चूहों को मारने के लिए निकलते हैं.
रेट किलर्स के लिए पहली बार भर्ती होने पर कई शर्तों को पूरा करना होता था. मसलन भर्ती होने वाले शख्स की उम्र 18 से 39 साल के बीच होनी चाहिए थी इसके लिए फिजिकल टेस्ट भी होता था. इसमें शख्स केा 49 किलो तक वजन उठाना होता था और बिना हांफें कुछ किलोमीटर दौड़ना होता था. सबसे आखिर में जो शर्त पूरी करती होती है वह है 10 मिनट में एक चूहे को मारना. मुंबई में चूहों को मारने के लिए बीएमसी समय-समय पर मिशन चलाती है, पिछले साल अक्टूबर में भी महानगर पालिका की ओर से रजिस्टर्ड एनजीओ और एजेंसियों की मदद मांगी थी. फ्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीएमसी की डे शिफ्ट में चूहे मारने के लिए 130 कर्मचारी हैं, जबकि नाइट शिफ्ट में 27, दिन के कर्मचारियों को चूहे मारने का कोई लक्ष्य न हीं दिया जाता, लेकिन नाइट रेट किलर्स को कम से कम 30 चूहे मारने होते हैं. हर चूहे को मारने के लिए 23 रुपये का भुगतान किया जाता है. मुंबई में चूहों को लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी के खतरे को कम करने के लिए मारा जाता है, हर साल सैकड़ों लोग इसकी चपेट में आते हैं. यह मुख्यत: चूहों की वजह से फैलती है, दरअसल चूहों की यूरिन से संक्रमित पानी के संपर्क में यदि कोई व्यक्ति आता है तो उसे लेप्टोस्पायरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है. ये संक्रमण अन्य जीवों से भी फैलता है, लेकिन मुंबई में चूहों की तादाद ज्यादा होने की वजह से महाराष्ट्र में चूहों को ही इसका जरिया माना जाता है. हाल ही में 23 जून को एक व्यक्ति की मौत लेप्टोस्पायरोसिस की वजह से हो गई थी.
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