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Lakhimpur Kheri : जलती अंगीठी रखकर सोया था परिवार, दो बच्चों की मौत; दो की हालत गंभीर
लखीमपुर खीरी के मैलानी में सर्दी से बचने के लिए कमरे में जलती अंगीठी रखकर सोए एक परिवार के दो बच्चों की दम घुटने से मौत हो गई। उनके माता-पिता की हालत गंभीर है। पिता का उपचार मैलानी के ही निजी अस्पताल में हो रहा है, जबकि मां की हालत गंभीर है। उसे पीलीभीत रेफर …
लखीमपुर खीरी के मैलानी में सर्दी से बचने के लिए कमरे में जलती अंगीठी रखकर सोए एक परिवार के दो बच्चों की दम घुटने से मौत हो गई। उनके माता-पिता की हालत गंभीर है। पिता का उपचार मैलानी के ही निजी अस्पताल में हो रहा है, जबकि मां की हालत गंभीर है। उसे पीलीभीत रेफर किया गया है।
मैलानी के मोहल्ला ईदगाह में खुटार रोड पर रहने वाले राम प्यारे ने बताया कि उनके पुत्र रमेश विश्वकर्मा की पत्नी रेनू विश्वकर्मा की तबियत बिगड़ गई थी। इसलिए उसने सोमवार रात सर्दी से बचने के लिए कमरे में जलती अंगीठी रख ली थी। कमरे में रमेश विश्वकर्मा (38), उसकी पत्नी रेनू (35), बेटी अंशिका (आठ) और बेटा कृष्णा (सात) थे। ये सभी कमरे में जलती अंगीठी रखकर ही सो गए।
सुबह सात बजे तक रमेश के न उठने पर दरवाजा खटखटाया। किसी के न जागने पर खिड़की से झांका, तो सब बेसुध दिखाई दिए। अनहोनी की आशंका से खिड़की से हाथ डालकर दरवाजे का खोला। अंदर जाने पर पता चला कि सभी लोग बेहोशी की हालत में हैं। आनन-फानन सबको निजी चिकित्सक के पास ले जाया गया। चिकित्सक ने अंशिका और कृष्णा को मृत घोषित कर दिया।
रेनू की हालत गंभीर
रमेश को यहीं निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत ठीक बताई गई है, जबकि पत्नी रेनू विश्वकर्मा की गंभीर हालत को देखते हुए पीलीभीत रेफर किया गया है। घटना से रमेश के पिता राम प्यारे, माता फितना देवी और अन्य परिजन का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। घटना की सूचना पाकर नगर में भी शोक की लहर दौड़ गई, जिसने भी सुना, वह रमेश के घर की ओर दौड़ गया।
सूचना पाकर एसडीएम रत्नाकर मिश्र, सीओ प्रवीण कुमार, नवागत एसओ पंकज त्रिपाठी, चेयरमैन कीर्ति माहेश्वरी, भवानी शंकर माहेश्वरी, भाजपा महिला जिला उपाध्यक्ष गुरमीत कौर, कांग्रेस नगर अध्यक्ष अवनीश अवस्थी सहित अन्य लोगों ने घर पहुंचकर पीड़ित परिवार को सांत्वना दी।
तीन दिन पहले बनवाई अंगीठी बनी काल
परिजन के मुताबिक रमेश की माता अस्थमा से पीड़ित हैं। उनकी तबियत खराब चल रही थी। मां को सर्दी से बचाने के लिए रमेश ने तीन दिन पहले ही अंगीठी बनवाई थी। उसे क्या पता था कि जिस अंगीठी को उसने अपनी मां को राहत दिलाने के लिए बनाया है, वही अंगीठी उसके दो मासूम बच्चों के लिए काल बन जाएगी।
परिजनों ने बताया कि जिस कमरे में रमेश अपने परिवार के साथ सो रहा था, वह पूरी तरह से बंद था। कमरे में लगी एक खिड़की को परदे से बंद करने के साथ ही रोशनदान को भी बंद कर दिया गया था। इसी से कमरे में रखी जलती अंगीठी से निकलने वाली गैस से दम घुटने से यह हादसा हो गया।