जयपुर। रिश्वत (Bribe) लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) द्वारा रंगे हाथों पकड़े गए श्रम आयुक्त प्रतीक झाझड़िया (Labor Commissioner Prateek Jhajharia) को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है. राज्य के कार्मिक विभाग ने झाझड़िया के निलंबन (Suspend) के आदेश जारी कर दिए हैं. निलंबन काल के दौरान प्रतीक अपनी सेवाएं प्रमुख सचिव कार्मिक विभाग, जयपुर में देंगे. रिश्वत लेने के मामले में प्रतीक फिलहाल जेल में बंद है. गत 26 जून को एसीबी ने प्रतीक झाझड़िया को 3 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. यह कार्रवाई एसीबी ने जयपुर में की थी. रिश्वत की रकम मासिक बंधी के रूप में दलालों के मार्फत श्रम विभाग के अफसरों से वसूली जा रही थी. प्रतीक भारतीय डाक सेवा 2011 बैच के अधिकारी हैं.
प्रतीक झाझड़िया भारत सरकार से डेपुटेशन पर राज्य सरकार में कार्यरत है. वे दिसंबर 2019 से राजस्थान में काम कर रहे हैं. मूल रूप से झुंझुनूं निवासी प्रतीक झाझड़िया भारतीय डाक सेवा में वर्ष 2011 बैच का अफसर हैं. वे पहले बिजनस डपलवमेंट विभाग, डाक सेवा में डिप्टी जनरल मैनेजर थे. इसके बाद राजस्थान में डेपुटेशन पर आ गये. यहां से उन्हें लेबर कमिश्नर लगा दिया गया. बताया जा रहा है कि राजनीतिक प्रभाव से वह डाक सेवा से डेपुटेशन पर राजस्थान में आये. सीधे तौर पर प्रशासनिक सेवाओं (आईएएस) से नहीं जुड़ा होने के बावजूद प्रतीक को लेबर कमिश्नर की सीट पर पर सरकार ने पोस्टिंग दी. जबकि इस पोस्ट पर अक्सर आईएएस या सीनियर आरएएस रैंक के अफसर ही कमिश्नर लगाए जाते हैं.
श्रम विभाग के अफसर अच्छी पोस्टिंग लेने और अपने खिलाफ चल रही जांच को खत्म कराने के लिए रिश्वते देते थे. एसीबी ने श्रम आयुक्त झाझड़िया और दलाल रवि मीना तथा अमित शर्मा को गत 26 जून को गिरफ्तार किया था. दोनों दलाल करौली के श्रम निरीक्षक से मासिक बंधी वसूल कर झाझड़िया के निवास पर राशि देने आए थे. भारतीय डाक सेवा के अधिकारी प्रतीक झाझड़िया की नियुक्ति भी विवादों में रही है. बताया जाता है कि जोधपुर के बड़े राजनेता के आशीर्वाद से प्रतीक झाझड़िया को श्रम विभाग में श्रम आयुक्त जैसी अहम पोस्ट दी गई. आमतौर पर श्रम विभाग का आयुक्त आईएएस अधिकारी बनाया जाता रहा है.