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कुंडा अनोखी सीट, जहां एक हत्या के 2 आरोपी प्रत्याशी, जानिए क्या है DSP मर्डर का पूरा केस?
jantaserishta.com
28 Jan 2022 6:15 AM GMT
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लखनऊ: समय- रात के करीब सवा आठ बजे, तारीख- 2 मार्च 2013 और स्थान- प्रतापगढ़ का बलीपुर गांव. यह वही तारीख, समय और जगह है, जब कुंडा के क्षेत्राधिकारी रहे जिया-उल-हक की निर्मम हत्या कर दी गई थी. जिया-उल-हक की हत्या को 9 साल बीतने वाले हैं, लेकिन अब भी यह मामला समाजवादी पार्टी (सपा) की गले की फांस बना हुआ है. वजह है कि सपा ने जिया-उल-हक मर्डर केस के आरोपी गुलशन यादव को कुंडा से टिकट दे दिया है.
कुंडा का नाम आते ही सबके दिमाग में बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का नाम आ जाता है. 1993 से लगातार कुंडा सीट से निर्दलीय विधायक बन रहे राजा भैया का नाम भी सीओ जिया-उल-हक मर्डर केस में आया था, लेकिन सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. हालांकि, सीओ जिया-उल-हक की पत्नी परवीन ने सीबीआई की रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट में अर्जी डाल दी थी, जिस पर कोर्ट ने सीबीआई की रिपोर्ट खारिज कर दी और फिर से जांच शुरू हो गई है.
कौन थे सीओ जिया-उल-हक
देवरिया जिले के गांव नूनखार टोला जुआफर के रहने वाले बेहद मिलनसार पुलिस अफसरों में शुमार रहे जिया-उल-हक की 2012 में बतौर सीओ कुंडा तैनाती हुई थी. कुंडा तैनाती के बाद से ही जिया-उल-हक पर कई तरह के दबाब आते रहते थे. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जिया-उल-हक के परिजनों ने बताया था कि कुंडा में तैनाती के बाद से ही राजा भैया की ओर से कई मामलों को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा था.
सीओ जिया-उल-हक की क्यों कर दी गई थी हत्या?
प्रतापगढ़ के कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 की शाम साढ़े सात बजे प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या कर दी गई थी. यह हत्या उस समय हुई थी, जब नन्हें यादव विवादित जमीन के सामने बनी एक फूस की झोपड़ी में मजदूरों से बात कर रहे थे. दो बाइक बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था. इस घटना के बाद नन्हें सिंह यादव के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे. रात सवा आठ बजे कामता पाल के घर में आग लगा दी गई.
भारी बवाल के बीच कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ नन्हें सिंह यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत न जुटा सके, लेकिन सीओ जिया-उल-हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े. इसी बीच ग्रामीणों द्वारा की जा रही फायरिंग से डरकर सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और एसएसआइ कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए. सीओ जिया-उल-हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया.
इसी दौरान गोली चलने से प्रधान नन्हें सिंह यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई. इसके बाद सीओ जिया-उल-हक की निर्मम हत्या कर दी गई. रात 11 बजे भारी पुलिस बल बलीपुर गांव पहुंचा और सीओ की तलाश शुरू हुई. आधे घंटा बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला. इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजा भैया, उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था.
पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई FIR में था राजा भैया का नाम
बलीपुर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में कुल चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी. सबसे आखिर में सीओ जिया-उल-हक की पत्नी परवीन की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इसमें 5 आरोपी हैं, जिनके नाम हैं गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, संजय सिंह उर्फ गुड्डू और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया. इन पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 504, 506, 120 बी और सीएलए एक्ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज कराया गया था.
सीबीआई को सौंप दी गई थी जांच
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने जिया-उल-हक मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. जिया-उल-हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी. सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे थी. हालांकि इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थी. कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. अब फिर से सीबीआई इस केस की फाइल ओपन कर सकती है.
गुलशन यादव को सपा ने बनाया प्रत्याशी
राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव को सपा ने कुंडा से विधानसभा का टिकट दिया है. इसके बाद से ही सपा पर सवाल उठ रहे हैं. शहीद सीओ जिया-उल-हक की पत्नी परवीन ने कहा कि अभी केस बंद नहीं हुआ है, चुनाव में गुलशन यादव और राजा भैया जैसे लोगों की जगह साफ छवि को लोगों मौका मिलना चाहिए, प्रतापगढ़ की जनता को इस बात का फैसला करना चाहिए कि उम्मीदवार किसे बनाया जा रहा है.
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