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कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व को मिली मंजूरी, इन 4 जिलों में बनेगा तब छोड़े जाएंगे बाघ
Kajal Dubey
11 Oct 2021 1:59 PM GMT
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दो माह के सर्वे के बाद कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व (Kumbhalgarh Tiger reserve) पर मुहर लग गई है.
उदयपुर. दो माह के सर्वे के बाद कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व (Kumbhalgarh Tiger reserve) पर मुहर लग गई है. यह रिजर्व 4 जिलों उदयपुर, पाली, राजसमंद, सिरोही (Udaipur, Pali, Rajsamand & Sirohi) में फैला होगा. रविवार को पर्यावरण मंत्रालय (environment Ministry) को इसकी गोपनीय रिपोर्ट भेज दी गई. इस रिपोर्ट के अनुसार 2053 वर्ग किमी क्षेत्र में टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा. मेवाड़ में टाइगर की गूंज और टूरिज्म को और बढ़ाने में कारगर होगी
राजस्थान में चार टाइगर रिजर्व हैं. इनमें रणथम्बौर टाइगर रिजर्व, सरिस्का अभ्यारण्य, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण्य शामिल हैं. कुंभलगढ़ के रूप में पांचवा टाइगर रिजर्व प्रदेश को मिलेगा.
कुंभलगढ़ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व बनाने की दिशा में एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई थी. इसमें आरएन मेहरोत्रा, रिटायर्ड पीसीसीएफ, राजस्थान, एनके वासु, रिटायर्ड पीसीसीएफ, आसाम, डॉ. कौशिक बनर्जी और आईएन साधु, साइंटिस्ट, टाइगर सेल (वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) और हेमंत कामडी, एआईजी (एनटीसीए, रीजनल ऑफिस) को शामिल किया गया. एक्सपर्ट कमेटी ने कुंभलगढ़ में टाइगर रिजर्व बनाने पर सहमति दी.सांसद दिया कुमारी ने भी की थी वकालत
दरअसल, कुंभलगढ़ के क्षेत्र में बड़े और खड़े स्लॉप टाइगर के बजाय लेपर्ड के लिए ज्यादा अनुकूल हैं. ऐसे में बाहरी एरिया में 1150 वर्ग किमी का टेरिटोरियल फॉरेस्ट और वेस्ट लैंड है, जिसे वाइल्ड लाइफ रिजर्व में शामिल करना होगा. सांसद दीया कुमारी ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया था. दूसरे ही दिन 20 जुलाई 2021 को पर्यावरण मंत्रालय ने कमेटी के आदेश जारी कर दिए थे. इसमें रावली टॉडगढ़ आदि पतली पट्टी व खड़े स्लॉप के जंगली एरिया को अलग रखकर कुछ बाहरी एरिया को शामिल किया गया है.
100 से ज्यादा बाघ, दबाव कम होगा
प्रदेश में 3 साल में 33 बाघ बढ़े, इसलिए बाघों के लिए जगह कम पड़ रही है. यहां बाघ 100 पार पहुंच चुके हैं. बाघों में भी संघर्ष बढ़ा और बढ़ते दबाव से 10 साल में 15 लोग मारे गए. चौथे रिजर्व रामगढ़ को भी हाल में मंजूरी मिली है. सारा दबाव रणथंभौर पर है. यहां 70 से अधिक बाघ हैं.
18 गांव हटाने हैं, 20 से अधिक का सर्वे होगा
कुंभलगढ़ के 3 गांवों को पूरी तरह रिलोकेशन करना होगा. बढ़े क्षेत्र में 18 गांव हटाए जाने हैं. पैरिफिरी आदि पर करीब 20 छोटे गांव हैं. इनके रिलोकेशन का प्लान बनाना होगा. जंगल से दो सड़कें गुजर रही हैं. इन दोनों के ऊपर एलिवेटेड रोड बननी होगी. इस क्षेत्र में अभी शिकार की कमी है. सिफारिश की गई है कि चीतल-सांभर के कई जगह बड़े एन्क्लोजर बनाकर ब्रिडिंग सेंटर तैयार किया जाएं. फिर इन्हें जंगल में छोड़ा जाए.
दो चरणों में बनेगा कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व
प्रोजेक्ट के पहले चरण में 1150 वर्ग किमी भूमि वाइल्ड लाइफ में ट्रांसफर होगी. 4 जिलों से 526 वर्ग किमी फॉरेस्ट एरिया को वाइल्ड लाइफ में ट्रांसफर किया जाएगा. दूसरे चरण में राज्य सरकार की प्लानिंग पर एनटीसीए की ओर से 2024-25 में टाइगर रीइंट्रोडेक्शन प्लान बनेगा. तब टाइगर छोड़े जाएंगे. शुरुआत में कम से कम एक जोड़ा छोड़ेंगे. पूरे प्लान के लिए केंद्र से बजट आएगा.
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