भारत

कुलभूषण जाधव केस: सजा के खिलाफ अपील के लिए भारत को मिले एक और अवसर, पाकिस्तानी हाई कोर्ट का आया फैसला

jantaserishta.com
4 March 2022 5:09 AM GMT
कुलभूषण जाधव केस: सजा के खिलाफ अपील के लिए भारत को मिले एक और अवसर, पाकिस्तानी हाई कोर्ट का आया फैसला
x

नई दिल्ली: इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुरूप कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के खिलाफ अपील करने के लिए एक वकील की नियुक्ति की मांग के मामले में भारत को अपनी प्रतिक्रिया के लिए एक और अवसर प्रदान करे. ये जानकारी पाकिस्तानी मीडिया ने दी है.

सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव (50) को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में जासूसी करने और आतंकवाद फैलाने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। भारत ने इसके खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में अपील की थी।
भारत का कहना है कि जाधव नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद व्यापार कर रहे हैं और उनके इसी सिलसिले में ईरान जाने पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने उन्हें झूठे इल्जाम में फंसाने के लिए वहां से अगवा किया था। भारत ने पाकिस्तान पर जाधव तक राजनयिक पहुंच उपलब्ध नहीं कराने का भी आरोप लगाया था।
आईसीजे ने जुलाई, 2019 में पाकिस्तान को जाधव मामले की दोबारा समीक्षा करने, उसे सैन्य अदालत के खिलाफ अपील का मौका देने और भारत को उस तक राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।
आईसीजे के आदेश के बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त 2020 में मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह, न्यायमूर्ति अमीर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की तीन सदस्यीय पीठ का बनाई थी। इस पीठ ने भारत से कई बार जाधव के लिए पाकिस्तान से एक वकील को नामित करने के लिए कहा है, लेकिन भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव को भारतीय वकील नियुक्त करने का मौका दिया जाना चाहिए।
कुलभूषण जाधव के मामले में नवंबर 2021 में पाकिस्तान की संसद ने सैन्य अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा अपील दायर करने का अधिकार देने के लिए एक कानून बनाया था। पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा और पुनर्विचार) अधिनियम 2021 ने जाधव को समीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से उच्च न्यायालय में अपनी सजा को चुनौती देने की अनुमति दी है।
वहीं, इस पर भारत का कहना है कि ये कानून पिछले अध्यादेश की कमियों को बस संहिताबद्ध करता है। इस्लामाबाद इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए माहौल बनाने में विफल रहा है।

Next Story