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दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता का भव्य पूजा पंडाल, किताब पढ़ने से लेकर पौधारोपण, कर रहे जागरूक

Shiddhant Shriwas
10 Oct 2021 8:02 AM GMT
दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता का भव्य पूजा पंडाल, किताब पढ़ने से लेकर पौधारोपण, कर रहे जागरूक
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पश्चिम बंगाल के दुर्गा पूजा पंडाल में अलग-अलग थीम देखने को मिलती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पश्चिम बंगाल का दुर्गा पूजा (West Bengal Durga Puja) विश्व प्रसिद्ध है. आज महापंचमी के साथ ही कोलकाता के पूजा पंडाल (Kolkata Puja Pandal) सज गए हैं और लोगों में पूजा पंडाल को लेकर विशेष उत्साह है. राज्य के दुर्गा पूजा पंडाल में अगल अगल थीम देखने को मिलती है. कहीं पर दुर्गा पंडाल के जरिए युवाओं को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है तो कहीं पर लोगों को पौधारोपण के लिए जागरूक कर रहा है, तो कहीं विश्व की सबसे बड़ी इमारत बुर्ज खलीफा लोगों को लुभा रही है, तो कहीं मां दुर्गा सोने की साड़ी पहनी हुई हैं.

बता दें कि इस साल कोरोना महामारी के बीच दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा हो रही है. राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर पूजा पंडालों के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं, हालांकि कोरोना के मामलों में कमी के कारण हाईकोर्ट ने कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ-साथ कुछ रियायत देने की भी ऐलान किया है.
पुस्तकालय के तर्ज पर किया गया है पंडाल का निर्माण
पश्चिम बंगाल पुनर्जागरण के 200 साल पूरे करने के लिए, बाबूबागान सार्वजनिन दुर्गोत्सव समिति ने दक्षिण कोलकाता में एक पुस्तकालय के रूप में अपना दुर्गा पूजा पंडाल डिजाइन किया है, जिसमें आंदोलन से संबंधित प्रमुख आंकड़े और किताबें प्रदर्शित हैं. कोलकाता में बाबूबागान सार्वजनिन दुर्गोत्सव समिति की कोषाध्‍यक्ष सुजाता गुप्ता ने कहा, "हम युवा पीढ़ी को इन किताबों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं. इस पंडाल में 200 से अधिक श्रमिकों ने 2 महीने तक काम किया और इसकी लागत लगभग 30 लाख रुपये है."
पौधारोपण को लेकर जागरूकता फैला रहा है पूजा पंडाल
सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के लिए बीरभूम में एक दुर्गा पंडाल पौधारोपण के लिए लोगों में जागरूकता फैला रहा है. पंडाल के पिनाकी लाल ने बताया, "हमको कोरोना की दूसरी लहर ने ऑक्सीजन का महत्व समझाया है. इस पंडाल के माध्यम से हम लोगों को पौधारोपण का महत्व समझा रहे हैं.
माइग्रेशन की थीम पर बनाया गया है पंडाल
कोलकाता स्थित 'नकतला उदयन संघ' क्लब ने अपने दुर्गा पूजा पंडाल को माइग्रेशन की थीम दी है. क्लब के सदस्य सम्राट नंदी ने कहा, हमने बड़े पैमाने पर विभाजन और उसके बाद की स्थिति पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया है.

मां के स्पर्श को दर्शा रहा है पंडाल

पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा पंडाल 'मेयर छोवा' (माँ का स्पर्श) पर आधारित है, जिसमें हमारे जीवन में माताओं की भूमिका को दर्शाया गया है, इसकी तुलना मां दुर्गा से की गई है. पंडाल सचिव सुजीत रॉय ने कहा, घर के कामों से लेकर बच्चों की देखभाल तक, हमने एक मां के बहुमुखी व्यक्तित्व को चित्रित करने की कोशिश की है. सुजीत रॉय ने कहा, "हमने पंडाल को सजाने के लिए पारंपरिक बंगाली चूड़ी का इस्तेमाल किया है. इसे विवाहित बंगाली महिलाएं पहनती हैं. इस विषय के माध्यम से, हम यह बताना चाहते हैं कि माँ और दुर्गा माँ दोनों संकट और COVID के समय में अपने बच्चों की रक्षा करती हैं."
'खेला होबे' के नारे पर बना है पंडाल
दक्षिण कोलकाता में एक दुर्गा पूजा पंडाल को 'खेला होबे' की थीम पर डिजाइन किया गया है. कलाकार सौमेन घोष कहते हैं, खेला होबे का नारा पूरे भारत में प्रसिद्ध है. हमने इस विषय को बच्चों और युवाओं को मोबाइल गेम के बजाय आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करने के लिए चुना है. दक्षिण कोलकाता में एक दुर्गा पूजा पंडाल को 'खेला होबे' की थीम पर डिजाइन किया गया है. कलाकार सौमेन घोष कहते हैं, खेला होबे का नारा पूरे भारत में प्रसिद्ध है. हमने इस विषय को बच्चों और युवाओं को मोबाइल गेम के बजाय आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करने के लिए चुना है.


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