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Kolkata: पंडाल आयोजकों पर लगा था हिंदू भावना को आहत करने का आरोप, हाई कोर्ट फिलहाल इस मामले में नहीं देगा दखल

Shiddhant Shriwas
14 Oct 2021 10:36 AM GMT
Kolkata: पंडाल आयोजकों पर लगा था हिंदू भावना को आहत करने का आरोप, हाई कोर्ट फिलहाल इस मामले में नहीं देगा दखल
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गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कौशिक चंद ने कहा कि सोशल मीडिया की रिपोर्ट के आधार पर अदालत कोई कार्रवाई नहीं करेगा

कोलकाता की दमदम पार्क भारत चक्र पूजा कमेटी (DumDum Park Bharat Chakra Puja Committee) के पूजा पंडाल (Puja Pandals) में जूते-चप्पलों (Shoes) के इस्तेमाल के मामले पर पूजा आयोजकों को फिलहाल राहत मिल गई है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कौशिक चंद ने कहा कि सोशल मीडिया की रिपोर्ट के आधार पर अदालत कोई कार्रवाई नहीं करेगा और न ही अदालत में इस मामले में कोई दखल देगा.

बता दें कि दमदम पार्क भारत चक्र पूजा कमेटी के पूजा पंडाल में किसान आंदोलन को दर्शाया गया है और वहां पंडाल में जूते-चप्पल का इस्तेमाल हुआ है. नेता प्रतिपक्ष व बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी, विश्व हिंदू परिषद ने विरोध किया था. इसके साथ स्थानीय लोगों ने थाने में जाकर पूजा कमेटी के खिलाफ सामूहिक याचिका (Petition) दायर की गई थी और लेक टाउन थाने में एफआईआर दायर की गई थी और अदालत में मामला दायर किया गया था.
हाई कोर्ट फिलहाल इस मामले में नहीं देगा दखल
जस्टिस कौशिक चंद ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दमदम पार्क भारत चक्र के खिलाफ दर्ज मामले में फिलहाल अदालत दखल नहीं दे रहा है. कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा. वादी द्वारा प्रस्तुत सोशल मीडिया रिपोर्टों के आधार पर अदालत कोई कार्रवाई नहीं करेगी. पुलिस 25 अक्टूबर को रिपोर्ट देगी. उसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा. न्यायाधीश कौशिक चंद ने कहा कि पूजा की थीम 'धान नहीं देंगे, मान नहीं देंगे.' में जूते इससे कैसे संबंधित हैं? इस मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल सौम्येंद्रनाथ मुखर्जी ने कहा कि जलियांवाला बाग से शुरू होकर जहां भी जन आंदोलन पर हमला होता है, वहां लड़ाई के बाद ढेर सारे जूते गिरे नजर आते हैं. उत्तर प्रदेश में जब आंदोलन कर रहे किसानों पर हमले हो रहे थे तो मृत किसानों के जूते नजर आए थे. इसलिए इस थीम में जूतों का इस्तेमाल किया गया है. जांच में पता चला है कि मंडप के दो भाग हैं. पहला भाग में केवल मंडप है और दूसरे भाग विषयवस्तु है. थीम के साथ मां के मंडप की दूरी 11 फीट है, तो मां के मंडप का अपमान करने का तर्क किसी भी तरह से सिद्ध नहीं होता है.
पंडाल आयोजकों पर लगा था हिंदू भावना को आहत करने का आरोप
बता दें कि अधिवक्ता पृथ्वीजय दास ने इसे देवी दुर्गा का गंभीर अपमान और सनातन हिंदू धर्म की भावना को आहत करने वाला बताते हुए पूजा कमेटी को कानूनी नोटिस भेजा था. कानूनी नोटिस में इस बात का विस्तृत विवरण भी मांगा गया था कि जूते का इस्तेमाल क्यों किया गया. अधिवक्ता ने इसे हिंदू सनातन धर्म की भावना को ठेस पहुंचाने वाला बताया था, जबकि पूजा कमेटी का कहना था कि यह देश में किसान आंदोलन का प्रतीक है. बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी से लेकर कुछ स्थानीय लोगों ने मंडप से जूते-चप्पल हटाने की मांग की थी.


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