पटना: हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ साथ पवित्र स्थलों को भी बेहद ही खास माना जाता है वही भारत में कई ऐसे तीर्थ स्थल है जिनके रहस्यों को आज तक कोई समझ नहीं पाया है लेकिन हम आज अपने इस लेख द्वारा भगवान बुद्ध के पवित्र स्थल महाबोधि मंदिर और बोधगया के बारे में बात कर रहे हैं बता दें कि बोधगया बिहार की राजधानी पटना से करीब 115 किलो मीटर दूर दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है और यह गया जिला से सटा हुआ एक शहर है
गंगा की सहायक नदी फल्गु नदी तट के किनारे पश्चिम दिशा की ओर महाबोधि मंदिर स्थित है यह बेहद प्राचीन मंदिर है इस पवित्र स्थल का संबंध भगवान बुद्ध से है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा महाबोधि मंदिर और बोध गया को ज्ञानी की नगरी क्यों कहा जाता है इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
महाबोधि मंदिर लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र माना जाता है यह पूरी तरह से ईंटों से निर्मित है जो बोधगया के सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिर में से एक माना जाता है कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी से पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया था इसके बाद कई बार मंदिर स्थल का विस्तार और पुननिर्ममार्ण किया गया बता दें कि 52 मीटर की ऊंचाई वाले इस मंदिर के भीतर भगवान बुद्ध की सोने की प्रतिमा है जहां भगवान बुद्ध भूमिस्पर्श मुद्रा में है। भगवान के दर्शन और पूजन के लिए यहां लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है मान्यता है कि इस पवित्र स्थल के दर्शन मात्र से भक्तों के कष्टों में कमी आती है।
बोधगया क्यों है ज्ञान की नगरी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बोधगया वह पवित्र स्थल है जहां पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इसलिए बौद्ध भिझुओं के लिए बोधगया को दुनिया का सबसे पवित्र शहर बताया गया है करीब 531 ईसा पूर्व में यहां फल्गु नदी के किनारे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उन्होंने यहां स्थित बोधि वृक्ष के पास बैठकर कठोर तपस्या की। कहा जाता है कि बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में एक पीपल का वृक्ष है इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी बोधि का मतलब ज्ञान होता है और वृक्ष का अर्थ पेड़ होता है ऐसे में इस वृक्ष को ज्ञान का पेड़ भी कहा जाता है और यही वजह है कि बोधगया को ज्ञान की नगरी के नाम से भी लोग जानते हैं।