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लाइफ स्टाइल
पिज्जा को स्वादिष्ट बनाने वाले ऑरेगैनो, भारत में कहां से आते है जानिए
Rani Sahu
17 Jun 2021 12:50 PM GMT
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पिज्जा हर किसी का फेवरिट और हर कोई इसे खाने के लिए तैयार रहता है
पिज्जा हर किसी का फेवरिट और हर कोई इसे खाने के लिए तैयार रहता है. इस पिज्जा का स्वाद उस समय और बढ़ जाता है जब इस पर ऑरगेनी या रोजमैरी और थाइम जैसी हर्ब्स छिड़की जाती हैं. ये मसाले पिज्जा को और स्वादिष्ट बनाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये हर्ब्स या मसाले भारत में कहां से आते हैं. आपमें से बहुत कम लोग होंगे जिन्हें शायद इस बात का अंदाजा हो कि पिज्जा के ये मसाले भारत में ही उत्पादित होते हैं.
तमिलनाडु में होती है खेती
पिज्जा भले ही भारत में इटली से आया हुआ व्यंजन है मगर इस पर जो मसाले छिड़के जाते हैं तो तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में पैदा किए जाते हैं. पिज्जा पर जो मसाले छिड़के जाते हैं वो यूरोपियन हैं और भारत में इनकी पैदावार का श्रेय भी यूरोप के लोगों को ही दिया जाता है. यूरोपियन अपने साथ डिश को फ्लेवर देने और उसे सजाने के मकसद से इन मसालों को भारत में लेकर आए थे. तमिलनाडु की नीलगिरी की पहाड़ियों पर इनकी पैदावार होती है. इन्हें हमेशा से ही 'English Vegetables' के तौर पर जाना जाता था. मगर सन् 1980 में जब इंडियन स्पाइसेज बोर्ड ने इनकी खोज की तो ये मसाले भारतीय हो गए.
1998 के बाद से बदली सूरत
इन मसालों को खासतौर पर गांव के लोग और ट्राइब्ल उगाते हैं. ये एक खास मौसम में उगाए जाने वाले मसाले हैं. जब मसालों की फसल तैयार हो जाती है तो बिचौलियों की मदद से उन्हें शहरों जैसे बेंगलुरु में ले जाकर बेचा जाता है.
ये मसाले बिना किसी सर्टिफिकेशन के बहुत ज्यादा दामों पर बिकते थे. चेन्नई से 500 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित नीलगिरी की पहाड़ियों पर पैदा होने वाले ये मसाले यहां के लोगों की जिंदगी बदल रहे थे.
इसके बाद वर्ल्ड बैंक की मदद से पहाड़ियों पर एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया. एक इंटरनेशनल वर्कशॉप ने यहां पर चीजों को बदला और फिर दिसंबर 1998 में एक बड़ी पहल हुई. ये वर्कशॉप निर्यात पर आधारित थी. स्पाइसेज बोर्ड ने ग्रामीण समुदाय को ऑर्गेनिक मसालों को निर्यात करने में मदद की.
घर पर उगा सकते हैं ये हर्ब्स
ये प्रोजेक्ट दुनिया के 44 कार्यक्रमों में अहम प्रोजेक्ट साबित हुआ और इसे 1200 प्रतिद्वंदियों में से चुना गया था. साल 2000 में वर्ल्ड बैंक की तरफ से इस प्रोजेक्ट को 250,000 डॉलर की ईनाम भी दिया गया.
साल 2000 में इसे इनोवेटिव प्रोजेक्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया. एक लोकल एनजीओ और स्पाइस बोर्ड की मदद के बाद करीब 4 मिलियन डॉलर का एक प्रोग्राम शुरू हुआ और ये चार साल तक चला.
पिज्जा पर जो हर्ब्स डाली जाती हैं वो यह ठंडी जलवायु में उगती है. अगर आप चाहें तो इसे घर पर भी उगा सकते हैं. लेकिन इसे अपने किचन में न रखें, जहां पर एप्लायंसेज और गैस स्टोव की वजह से बहुत ज्यादा गर्मी होती है. आप इसे अपने लिविंग रूम या बेडरूम में उगाएं और नियमित तौर पर पानी देते रहें.
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