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जानिए आयुध पूजा क्या है? किस वजह से इस दिन किया जाता है शस्त्रों का सम्मान
Shiddhant Shriwas
14 Oct 2021 2:30 AM GMT
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महिषासुर जैसे शक्तिशाली राक्षस को को हराने के लिए देवों को अपनी समूची शक्तियां एक साथ लानी पड़ी.
तमिलनाडु (Tamilnadu) के राज्यपाल आरएन रवि ने आयुध पूजा (Ayudha Puja) और विजयदशमी से पहले राज्य के लोगों को बधाई दी. उन्होंने एक बयान में कहा, "आयुध पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत और देवी दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर के विनाश के उत्सव का प्रतीक है." इसे नवरात्रि उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
आयुध पूजा को 'अस्त्र पूजा' के रूप में भी जाना जाता है, यह वह दिन है जब लोग अपने द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों, हथियारों, मशीनआदि की पूजा और सफाई करते हैं. ये उपकरण पिन, चाकू या स्पैनर के साथ-साथ कंप्यूटर, भारी मशीनरी, कार और बसों जैसे बड़े उपकरणों के रूप में भी हो सकते हैं. दक्षिण भारत में, सरस्वती पूजा के साथ-साथ आयुध पूजा भी मनाई जाती है.
दरअसल आयुध पूजा की कहानी राक्षस महिषासुर के वध से जुड़ी है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त करने के बाद राक्षस महिषासुर ने निर्दोष लोगों का नरसंहार करना शुरू कर दिया कि उसे केवल एक महिला ही मार सकती है. तब सभी देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से समस्या का समाधान खोजने की गुहार लगाई जिसके बाद देवी दुर्गा को महिषासुर को समाप्त करने का कार्य सौंपा गया था. सभी देवताओं ने उसे राक्षस को हराने में मदद करने के लिए अपने हथियार दिए थे.
महिषासुर जैसे शक्तिशाली राक्षस को को हराने के लिए देवों को अपनी समूची शक्तियां एक साथ लानी पड़ी. अपनी दस भुजाओं के साथ मां दुर्गा प्रकट हुईं. उनकी हर भुजा में एक हथियार था. महिषासुर और देवी के बीच नौ दिन तक लगातार युद्ध चलता रहा. दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया. सभी शस्त्रों के प्रयोग का उद्देश्य पूरा हो जाने के बाद उनका सम्मान करने का समय था. उन्हें देवताओं को वापस लौटना भी था. इसलिए सभी हथियारों की साफ-सफाई के बाद पूजा की गई, फिर उन्हें लौटाया गया. इसी की याद में आयुध पूजा की जाती है
आध्यात्मिक और दार्शनिक अर्थ
आध्यात्मिक गुरुओं और विशेषज्ञों के आयुध पूजा के दिन अनुसार यंत्रों और शस्त्रों की पूजा करने से तृप्ति की अनुभूति होती है. विशेषज्ञों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपने पास मौजूद चीजों के प्रति श्रद्धा दिखाता है, तो यह उन्हें ब्रह्मांड के साथ सामंजस्य स्थापित करता है. वहीं आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक रविशंकर ने कहा, "स्वामित्व में सम्मान आपको लालच और ईर्ष्या से मुक्त करता है."
आयुध पूजा पर किए गए अनुष्ठान
इस दिन सभी यंत्रों की अच्छी तरह से सफाई कर उनकी पूजा की जाती है. कुछ भक्त देवी का आशीर्वाद लेने और उनके द्वारा हासिल की गई जीत को चिह्नित करने के लिए अपने उपकरण देवी के सामने रखते हैं. औजारों और वाहनों पर हल्दी और चंदन के मिश्रण का तिलक लगाया जाता है. कुछ लोग इन शस्त्रों को फूलों से भी सजाते हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कई वर्षों तक आयुध पूजा (या शास्त्र पूजा) की है. साल 2019 में, उन्होंने पहला राफेल फाइटर जेट प्राप्त करते हुए पेरिस में पूजा की थी.
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