भारत

जीव हत्या करना-हरे पेड़ काटना सबसे बड़ा पाप

10 Feb 2024 5:51 AM GMT
जीव हत्या करना-हरे पेड़ काटना सबसे बड़ा पाप
x

ऊना। जिला ऊना के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्रीराधेकृष्ण मंदिर कोटला कलां आश्रम में आयोजित वार्षिक धार्मिक महासम्मेलन में शुक्रवार को कथा के दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रभु प्रवचनों से निहाल करते हुए बाबा बाल जी महाराज ने कहा कि गीता के अनुसार …

ऊना। जिला ऊना के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्रीराधेकृष्ण मंदिर कोटला कलां आश्रम में आयोजित वार्षिक धार्मिक महासम्मेलन में शुक्रवार को कथा के दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रभु प्रवचनों से निहाल करते हुए बाबा बाल जी महाराज ने कहा कि गीता के अनुसार जीव हत्या सबसे बड़ा पाप हैं। अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप हैं। इसलिए हमें किसी भी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए और न ही बिना किसी कारण के हरे पेड़ों को काटना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर देखा जाएं तो बेजुवां जीव इंसानों से ज्यादा दयावान और ईमानदार होते हैं। वह अपने मालिक को प्रेम के बदले में प्रेम करते हैं और हरे पेड़ हमेशा इंसानों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन देते हैं।

इसके बदले में इंसानों से कुछ नहीं मांगते। इसके बाद ही इंसान अपने स्वार्थों के लिए हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाता है, जो गीता के अनुसार एक बहुत बड़ा पाप है। उन्होंने कहा कि हमें अपने जन्मदिवस पर कम से कम एक पेड़ आवश्यक लगाना चाहिए और यह शिक्षा अपने बच्चों को भी देनी चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ी को भी प्रकृति से प्यार हो। अगर इंसान बिन बजह बेजुवां जीवों व प्रकृति को नुकसान देता हैं तो कुदरत भी इंसानों को उसके बुरे कर्मे का फल जरूरत देती है। उन्होंने कहा कि पाप भी आपके कर्म थे और पुण्य भी। हम सोचते है पुण्य करके हम पाप से मुक्त हो सकते है। परंतु ये गलत है। पाप और पुण्य दोनों की पृथक कर्म है और आपके संचित कर्म में जुड़ते रहते है। ऐसे में पुण्य पाप को काट देते है पूर्णतया गलत विचार है। पाप से मुक्त होने के केवल दो ही रास्ते है। प्रथम पाप कर्म के प्रारब्ध को जीना। अर्थात पाप कर्म के अनुसार मिले प्रारब्ध कर्म को बिना किसी शिकायत के जिए और भगवन को धन्यवाद करें कि आपके कर्म उतर गए। दूसरा उत्तम रास्ता है पाप कर्म को स्वीकार कर, उसके लिए क्षमा मांगना। अब हमें नहीं पता किसके लिए हमने वह पाप कर्म किया। ऐसे में ईश्वर से क्षमा मांगें।

    Next Story