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किडनी रैकेट का भंडाफोड़: होटल में छापा पड़ा, तार बांग्लादेश से जुड़े

jantaserishta.com
5 April 2024 2:35 AM GMT
किडनी रैकेट का भंडाफोड़: होटल में छापा पड़ा, तार बांग्लादेश से जुड़े
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पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना मोहम्मद मुर्तजा अंसारी है, जिसे पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है।
गुरुग्राम: बांग्लादेश के गरीब जरूरतमंदों को गुरुग्राम लाकर अवैध तरीके से जयपुर में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। मुख्यमंत्री उड़नदस्ता, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने गुरुवार को एक होटल में छापा मारकर किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुके मरीज, डोनर और ट्रांसप्लांट करवाने के लिए आए नौ मरीजों को पकड़ा। पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना रांची का रहने वाला मोहम्मद मुर्तजा अंसारी है, जिसे पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पवन चौधरी की शिकायत पर पुलिस ने सदर थाने में आईपीसी और ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट-1994 की धाराओं में केस दर्ज किया है। सूचना मिली थी कि बबील पैलेस होटल से अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट करने का रैकेट चल रहा है। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच के लिए मौके पर पहुंची। होटल मालिक रोहित से पता चला कि तीसरी मंजिल पर दो दिन पहले आए बांग्लादेश के नागरिक रुके हुए हैं। उस होटल में मिले सभी नौ लोग बांग्लादेश के रहने वाले पाए गए।
पुलिस के अनुसार, जिस व्यक्ति को किडनी की जरूरत होती थी, गिरोह का सरगना मोहम्मद मुर्तजा अंसारी उससे करीब दस लाख रुपये लेता था। इसके बाद वह बांग्लादेश के गरीब और कर्ज में फंसे नागरिकों से नेटवर्क के जरिये संपर्क करता। किडनी देने के लिए तैयार होने के बाद उसे चार लाख रुपये देता था। दो लाख एडवांस, बाकी ट्रांसप्लांट के बाद। एक ट्रांसप्लांट से वह करीब छह लाख रुपये कमाता था। डोनर को बांग्लादेश से विमान से लाया और भेजा जाता था। गिरोह अब तक 80 से 100 लोगों का अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुका है। इसमें किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले भारत के भी कई लोग शामिल हैं।
डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पवन चौधरी ने बताया कि सभी का किडनी ट्रांसप्लांट जयपुर स्थित फोर्टिस अस्पताल में हुआ था। होटल में मिले डोनर और किडनी ट्रांसप्लांट करने वालों ने पूछताछ में फोर्टिस अस्पताल के नाम का खुलासा किया। ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों को गुरुग्राम के बबील होटल में पोस्ट ऑपरेटिव केयर के लिए रखा जाता था। देखभाल करने के लिए एक तीमारदार भी होता था। मरीज के ठीक होने के बाद दिल्ली से सभी को वापस बांग्लादेश भेज दिया जाता था।
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