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केरल हाईकोर्ट का फैसला, दस्तावेजों में सिर्फ मां का नाम लिखना भी मंजूर
jantaserishta.com
25 July 2022 5:15 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: अनमैरिड वुमन और रेप पीड़िताओं के बच्चे जन्म प्रमाण पत्र, पहचान प्रमाण पत्र समेत दूसरे डॉयूमेंट्स में सिर्फ अपनी मां का नाम बता सकते हैं. इस बारे में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा करने पर कोई भी व्यक्ति उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है.
केरल हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अविवाहित माताओं और रेप पीड़िताओं के बच्चे इस देश में निजता, स्वतंत्रता और गरिमा के मौलिक अधिकारों के साथ रह सकते हैं. और वह डॉयूमेंट्स में सिर्फ अपनी मां का नाम शामिल कर सकते हैं.
न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने एक आदेश में कहा कि एक अविवाहित मां का बच्चा भी इस देश का नागरिक है. कोई भी उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि कोई उनके निजी जीवन में दखल देता है तो इस देश का संवैधानिक न्यायालय उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक अविवाहित मां के बेटे और याचिकाकर्ता के पिता का नाम उसके तीन डॉक्यूमेंट्स में अलग था. इस मामले में कोर्ट ने जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के जन्म के समय रजिस्टर में लिखे गए पिता के नाम को हटाया जाए. साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता के अनुरोध करने पर सिंगल पैरेंट के रूप में सिर्फ मां का नाम दर्ज कर प्रमाण-पत्र जारी किया जाए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह न केवल अविवाहित मां, बल्कि इस महान देश भारत का बेटा/बेटी है. अदालत ने यह भी कहा कि राज्य को अपनी पहचान और गोपनीयता का खुलासा किए बिना अन्य नागरिकों के समान सभी प्रकार के नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए. अदालत ने सामान्य शिक्षा विभाग, उच्च माध्यमिक परीक्षा बोर्ड, यूआईडीएआई, आईटी विभाग, पासपोर्ट अधिकारी, भारत के चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया था कि वे पिता के नाम को उनके रिकॉर्ड से हटा दें.
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