भारत

मैरिटल रेप पर केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, बोले- 'दंड का प्रावधान नहीं, लेकिन तलाक मांगने का मजबूत आधार'

Deepa Sahu
6 Aug 2021 12:57 PM GMT
मैरिटल रेप पर केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, बोले- दंड का प्रावधान नहीं, लेकिन तलाक मांगने का मजबूत आधार
x
केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मैरिटल रेप (वैवाहिक बलात्‍कार) को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है.

केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मैरिटल रेप (वैवाहिक बलात्‍कार) को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायमूर्ति ए. मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की डिविजन बेंच ने मैरिटल रेप को तलाक का दावा करने के लिए एक मजबूत आधार बताया है. डिविजन बेंच ने पति की फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा क‍ि भारत में मैरिटल रेप के लिए दंड का प्रावधान नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भी ये तलाक का आधार हो सकता है. फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए केरल हाई कोर्ट ने पति की अर्जी खारिज कर दी.

दरअसल, पति ने फैमिली कोर्ट के फैसले के लिए हाई कोर्ट का रूख किया था. जिसपर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा क‍ि पत्‍नी की मर्जी के खिलाफ संबंध, वैवाहिक बलात्‍कार है. हालांकि ऐसे आचरण के लिए हमारे संविधान में दंड का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसे मानसिक और शारीरिक क्रूरता के दायरे में रखा जाता है. जिसके आधार पर तलाक मांगने का अधिकार है. एक महिला लगभग 12 साल तक अपने पति के बुरे बर्ताव के खिलाफ लड़ाई लड़ती रही.
पीड़िता की थाईज में की गई हरकत भी 'बलात्कार' के समान
अभी कुछ दिन पहले ही यौन उत्‍पीड़न के एक मामले में केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि पीड़िता की थाईज के साथ की गई गलत हरकत भी निश्चित रूप से आईपीसी की धारा 375(c) के तहत बलात्‍कार के बराबर है. वर्ष 2015 से संबंधित मामले में, जहां कक्षा 6 की एक छात्रा का उसके पड़ोसी ने यौन उत्‍पीड़न किया था. पड़ोसी ने छात्रा को अश्‍लील क्लिप दिखाकर उसके थाईज से गंदी हरकत की थी. मामला तूल पकड़ने के बाद निचली अदालत में सुनवाई हुई और पॉक्‍सो एक्‍ट एवं अप्राकृतिक यौन संबंध मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
ब मामला केरल हाईकोर्ट में आया तो सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा क‍ि पीड़िता की थाईज में की गई हरकत भी धारा 375 (सी) के तहत परिभाषित 'बलात्कार' ही है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला के शरीर के किसी भी हिस्‍से के साथ इस तरह की हरकत करना बलात्‍कार के बराबर है.
मां ने दर्ज कराया था केस
बता दें कि एक चिकित्‍सीय जांच के दौरान छात्रा ने पड़ोसी द्वारा किए गए यौन कृत्‍य के बारे में बताया था. उसने बताया था कि पड़ोसी कई बार उसका उत्‍पीड़न कर चुका है. जिसके बाद छात्रा की मां ने पड़ोसी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था और ट्रायल कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. उस वक्‍त कोर्ट के सामने जो साक्ष्‍य पेश किए गए, उसमें अभियुक्‍त अपने ऊपर लगे आरोपों में दोषी पाया गया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
ट्रायल में पड़ोसी पर POCSO एक्ट के सेक्‍शन 11(i) रीड/व‌िद 12, सेक्‍शन 9(l) (m) रीड/व‌िद सेक्‍शन 10, सेक्‍शन 3(c) रीड/व‌िद सेक्शन 5 (m) और सेक्‍शन 6, सेक्‍शन, IPC के सेक्शन 375(c) रीड/व‌िद सेक्‍शन 376(2) (i), सेक्‍शन 377, सेक्‍शन 354, सेक्‍शन 354A(1) (i) के तहत दोषी पाया गया. निचली अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी.
Next Story