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लक्षद्वीप में एलडीएआर पेश करने के खिलाफ दायर याचिका पर केरल उच्च न्यायालय ने केन्द्र से मांगा जवाब

Deepa Sahu
28 May 2021 8:55 AM GMT
लक्षद्वीप में एलडीएआर पेश करने के खिलाफ दायर याचिका पर केरल उच्च न्यायालय ने केन्द्र से मांगा जवाब
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लक्षद्वीप में एलडीएआर पेश करने के खिलाफ दायर याचिका पर

केरल उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप के प्रशासक के केन्द्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन 2021 (एलडीएआर) और सामाजिक गतिविधि रोकथाम (पासा) अधिनियम पेश करने के कदम के खिलाफ दायर याचिका पर केन्द्र सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा है. जस्टिस के विनोद चंद्रन और एमआर अनीता की खंडपीठ ने कांग्रेस के राजनेता केपी नौशाद अली द्वारा दायर एक याचिका पर विचार किया, जिसमें LDR और लक्षद्वीप द्वीप पर पेश किए गए असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (पासा) को चुनौती दी गई थी.

सुनवाई के दौरान में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और अन्य डिफेंडेंट की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा है. वहीं रेसपौंडेंट को दो सप्ताह का समय देते हुए, कोर्ट ने विनियमन के इम्पलिमेंटेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. वहीं याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट अनूप नायर ने कोर्ट से अपील की थी कि प्रशासन को इस दौरान कुछ भी लागू करने की अनुमति न दी जाए.
ये है पूरा मामला
दरअसल लक्षद्वीप एक केंद्र शासित प्रदेश है और केंद्रशासित प्रदेश में कोई विधानसभा नहीं होती. UT में राज्य की कमान राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त प्रशासक को सौंपा जाता है. पटेल पर लक्षद्वीप के लोग "वहाँ की संस्कृति, रहने, खाने के तरीक़ों को नुक़सान पहुँचाने और बेवजह डर फैलाने" की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि हाल के कई प्रस्तावित नियम "लोकतांत्रिक मर्यादा के ख़िलाफ़" हैं.
राजनेताओं का यह भी आरोप है कि यह सब, नए दमनकारी कानून एक ऐसे क्षेत्र में लागू किए जा रहे हैं, जहां 2019 तक हत्या और बलात्कार के मामले लगभग शून्य थे। हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, महिलाओं पर हमले के पांच मामले थे.
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