भारत
केरल हाईकोर्ट ने कहा- 'महिला को गर्भ के बारे में फैसला लेने की आजादी छीनी नहीं जा सकती'
Deepa Sahu
17 Aug 2021 11:01 AM GMT
x
केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला को अपने गर्भ के बारे में फैसला लेने की आजादी है।
केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला को अपने गर्भ के बार में फैसला लेने की आजादी है. और यह उससे छीनी नहीं जा सकती। अदालत ने इसके साथ ही मानसिक रूप से आंशिक कमजोर महिला को 22 हफ्ते के गर्भ को भ्रूण में विकृति की वजह से उसक समापन की अनुमति दे दी।
अदालत ने कहा कि अगर होने वाले बच्चे में विकृति आने का खतरा हो या उसके दिव्यांग होने की आशंका हो तो उस स्थिति में मां के गर्भपात कराने के अधिकार को अदालत भी मान्यता देती है। इस मामले में महिला मामूली रूप से मानसिक कमजोर है और उसकी जांच करने वाली मेडिकल टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भ्रूण क्लिनफेल्टर सिंड्रोम- आनुवंशिकी स्थिति जिसमें होने वाले लड़के में अतिरिक्त एक्स क्रोमोसोम होता है- से ग्रस्त है जिसकी वजह से पैदा होने के बाद उमें कई जटिलताएं उत्पन्न होगी।
अदालत ने यह फैसला महिला और उसके पति की याचिका पर दिया जिन्होंने मां को होने वाले संभावित खतरे के आधार पर 22 सप्ताह के गर्भ समापन की अनुमति देने का आग्रह किया था।
Next Story