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18 साल से जेल में कैद शख्स की रिहाई का केरल हाईकोर्ट ने दिया आदेश, 14 आपराधिक मामलों के तहत दर्ज था मुकदमा
Deepa Sahu
26 July 2021 9:49 AM GMT
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केरल उच्च न्यायालय (Kerala High court) ने 14 आपराधिक मामलों में 18 वर्ष से अधिक की कैद की सजा काट चुके।
केरल उच्च न्यायालय (Kerala High court) ने 14 आपराधिक मामलों में 18 वर्ष से अधिक की कैद की सजा काट चुके एक व्यक्ति को राहत देते हुए उसे तत्काल रिहा करने के आदेश दिए हैं. व्यक्ति को 2003 में गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद से ही वह जेल में बंद था और अगर अदालत हस्तक्षेप नहीं करती तो वह चोरी, सेंधमारी जैसे अपराधों के लिए 30 वर्ष तक जेल में ही रहता. व्यक्ति ने सभी 14 मामलों में अपराध कबूल कर लिया था और सभी मामलों में उसे छह से पांच वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई थी, जो अलग-अलग जोड़कर 30 वर्ष छह माह की सजा होती है
उच्च न्यायालय (High Court) ने अपने आदेश में कहा कि अपराध को अलग-अलग वक्त पर अंजाम दिया गया और मामले अलग अलग निचली अदालतों में लंबित थे और किसी ने भी दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया कि सभी सजा एक साथ चलने का आदेश देते.
निर्देश के मुताबिक 6 महीने की काटते सजा
अदालत ने कहा कि अगर निर्देश दिए जाते तो दोषी शिवनंदन कुल मिला कर पांच वर्ष की कैद की सजा काट कर छूट जाता. किसी भी निचली अदालत द्वारा ऐसे निर्देश नहीं दिए जाने के कारण दोषी जेल में ही रहा और अगर उच्च न्यायालय उसकी रिहाई के आदेश नहीं देता तो उसे 30 वर्ष छह महीने की सजा काटनी पड़ती.
377 के सबसे ज्यादा मामले यूपी से
आपको जानकर हैरान रह जाएंगे कि भारत में केरल दूसरा राज्य है जहां धारा 377 के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं . मीडिया रिपोर्ट में वर्ष 2016 के नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो आंकड़ों पर गौर किया जाए तो केरल में धारा 377 के खिलाफ 207 मुकदमे दर्ज हुए हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में इस मामले में 999 केस दर्ज हुए हैं . इसके अलावा देश के दक्षिण राज्यों से सामने आए ऐसे मामलों की बात करें तो कर्नाटक से 8, आंध्र प्रदेश के 7 और तेलंगाना से 11 मामले दर्ज हुए थे . इसके अलावा तमिलनाडु की बात करें तो वहां इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया .
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