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केरल हाईकोर्ट ने कर अधिकारियों से कहा, विवेक का इस्तेमाल करें

jantaserishta.com
28 April 2023 11:33 AM GMT
केरल हाईकोर्ट ने कर अधिकारियों से कहा, विवेक का इस्तेमाल करें
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कोच्चि (आईएएनएस)| केरल उच्च न्यायालय ने बिना कारण बताए यांत्रिक रूप से आदेश पारित करने के लिए कराधान कानूनों के क्रियान्वयन में लगे मूल्यांकन अधिकारियों की खिंचाई की है। न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा कि मूल्यांकन अधिकारी को यह निर्धारित करते समय अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए कि एक करदाता से अधिक कर की मांग के लिए समुचित कारण मौजूद है या नहीं।
अदालत ने कहा, हम यह टिप्पणी करना उचित समझते हैं कि हमारे देश में कानून का शासन है जिसका एक अभिन्न अंग है - निष्पक्षता की आवश्यकता। कर आंकलन के मामलों में यह अनिवार्य है कि कर आंकलन के विभिन्न कारकों के बारे में अपने विवेक का इस्तेमाल कर आंकलन अधिकारी अपने आदेश में ऐसा करने का पर्याप्त प्रमाण दें।
अदालत ने कहा, सरकार की कार्रवाई के खिलाफ न्याय की मांग के करदाता के अधिकार के मद्देनजर यह अनिवार्य हो जाता है कि यह अदालत आंकलन अधिकारियों के अनुचित आदेशों को सही करने का काम करे ताकि औचित्य की संस्कृति बरकरार रहे।
अदालत ने प्रोडेयर एयर प्रोडक्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (प्रोडेयर लिमिटेड) द्वारा केरल वैल्यू एडेड टैक्स एक्ट (केवीएटी एक्ट) के तहत मूल्यांकन प्राधिकरण द्वारा केवीएटी अधिनियम के तहत दो मूल्यांकन वर्षो के लिए उस पर जुमार्ना लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।
प्रोडेयर लिमिटेड एक निजी कंपनी है जो हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और एचपी स्टीम जैसी औद्योगिक गैसों के उत्पादन और बिक्री में शामिल है।
भारत पेट्रोलियम कॉपोर्रेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने अपने पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और विशिष्ट खूबियों वाले एचपी स्टीम की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करना आवश्यक समझा। इसलिए उसने प्रोडेयर लिमिटेड के साथ उक्त गैसों की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध किया।
अपीलकर्ता के अनुसार, अनुबंध के तहत इसका दायित्व बीपीसीएल द्वारा पट्टे के आधार पर आवंटित की जाने वाली भूमि पर अपनी लागत पर एक हाइड्रोजन और नाइट्रोजन विनिर्माण संयंत्र का निर्माण, स्वामित्व, संचालन (बीओओ) करना और रखरखाव करना था। इसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ बीपीसीएल को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और एचपी स्टीम की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना था।
पार्टियों के बीच अनुबंध के अनुसार, गैसों की कीमत में निश्चित मासिक शुल्क के साथ-साथ परिवर्तनीय शुल्क शामिल थे।
समझौते के अनुसार, बीपीसीएल के पास यह विकल्प था कि यदि गैसों की आपूर्ति शुरू होने की तारीख से 15 साल की प्रारंभिक अवधि के पूरा होने पर समझौता रिन्यू नहीं होता है तो वह उत्पादन संयंत्र का अधिग्रहण कर सकती है।
जब मूल्यांकन प्राधिकरण ने दो मूल्यांकन वर्षों के लिए मूल्यांकन पूरा किया, तो उसने केवीएटी अधिनियम के तहत अपीलकर्ता पर जुमार्ना लगा दिया।
इसके बाद अपीलकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
दोनों पक्षों के बीच अनुबंध की सावधानीपूर्वक जांच के बाद अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता बीपीसीएल से लीज पर ली गई भूमि पर बीपीसीएल को निर्दिष्ट गैसों की आपूर्ति के उद्देश्य से एक संयंत्र का निर्माण, स्वामित्व और संचालन करेगा, और संयंत्र में संपत्ति का कोई हस्तांतरण बीपीसीएल को नहीं हुआ जैसा कि मूल्यांकन प्राधिकरण ने समझ लिया।
इसलिए, अदालत ने अपील की अनुमति देते हुए बिना यह बताये कि मामले में कर कैसे बनता है या करदाता के दावे को क्यों खारिज किया गया है, यांत्रिक रूप से आदेश पारित करने के लिए कर अधिकारियों की खिंचाई की।
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